इन्दौर-दिनांक
20 मार्च 2019- जिला इन्दौर के एमवाय हॉस्पिटल के
सहारा वार्ड में दिनांक 12 दिसम्बर 2018 को एक अज्ञात
बालक एक सड़क दुर्घटना में घायल अवस्था में 108 वाहन द्वारा
भर्ती करवाया गया था। उक्त दुघर्टना में बालक के सर का अंदरूनी हिस्सा भी बाहर आ
गया था और यह चोट इतनी गंभीर थी कि, उसके प्रभाव के कारण वह बालक अपनी
यादाश्त भी भूल गया था। तत्काल दी गयी चिकित्सा सुविधा के कारण उसकी जान तो बच गयी
थी, लेकिन वह अपने घर बार के बारें में कुछ बता नहीं पा रहा था। जिला
इन्दौर नगर सुरक्षा समिती के प्रवक्ता व समाजसेवी श्री अमरजीत सिंह सूदन, जो
कि अपनी समाज सेवा के तहत एमवायएच के सहारा वार्ड में आये ऐसे लापता मरीजों को
पुलिस की मदद से घर पहुंचाने का प्रयास करते रहते है। जब इस लापता बालक के बारें
में पता चला तो, उससे उसका नाम पता पूछा, जिसने केवल अपना
नाम आयुष बताया और इसके अलावा कुछ भी नहीं बता पा रहा था।
पुलिस व श्री सूदनजी द्वारा पिछले 3
माह से उक्त बालक के बारें में पता लगाने के प्रयास किये जा रहे थे, लेकिन
कुछ परिणाम नहीं निकल पा रहा था। इस बीच श्री सूदन जी द्वारा उक्त बालक आयुष के
संबंध में एक पोस्ट फेसबुक पर डाली गयी, जिसे करीब 32 लाख लोगों ने
देखा और उसी में से नागपुर महाराष्ट्र के लोगों ने भी देखा तथा उनमें से ही किसी
ने उक्त बालक आयुष के माता-पिता को इस बारें में बताया। इस पर दिनांक 18.03.19 को
रात्रि में एक-डेढ़ बजे बालक आयुष के परिजन द्वारा थाना प्रभारी संयोगितागंज श्री
सुबोध श्रोत्रिय से संपर्क किया, जिस पर थाना प्रभारी द्वारा तत्काल
एमवायएच हॉस्पिटल पहुंचकर, उक्त बालक व उसके परिवारजनों की
वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिये बात करवाई गयी। बच्चें ने फोन पर जैसे ही अपने
माता-पिता को देखा तो वह उन्हे पहचान गया और उनके पास जाने का कहने लगा तथा उसके
परिजन भी खुश होकर, उसे लाने के लिये इन्दौर के लिये निकले।
आज दिनांक 20.03.19 को
अति. पुलिस अधीक्षक पूर्व जोन-1 श्री अनिल पाटीदार व थाना प्रभारी
संयोगितागंज श्री सुबोध श्रोत्रिय, श्री अमरजीत सिंह सूदन एंव एमवायएच के
सहारा वार्ड के स्टाफ की उपस्थिति में बालक आयुष कोनागपुर से आये उसके पिता,
मामा
व चाचा के सुपुर्द किया गया। बालक के परिजन ने बताया कि, वह घर पर किसी
बात से नाराज होकर नागपुर से बिना बताये आ गया था, जिस पर हम सभी
उसे बहुत ढूंढ रहे थे लेकिन मिल नहीं पा रहा था, इन्दौर पुलिस की
कार्यवाही के कारण ही हम अपने बच्चे से मिल पायें। अपने बच्चें को पाकर वे सभी
बहुत खुश हुए और इन्दौर पुलिस को धन्यवाद दिया गया।
यहां
सबसे उल्लेखनीय है कि जिस बच्चें का नाम पता कुछ मालूम नहीं था और न ही बच्चें की
यादाश्त सही सलामत थी, फिर भी उसका घर व परिवार को ढृंढकर उन्हे
परिवार के पास पहुंचाने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। जो कि इन्दौर पुलिस व
नगर सुरक्षा समिती सदस्य की सक्रियता से ही संभव हो सका है। इस प्रकरण से भी हमें
यह सीख मिलती है कि, यदि हम फेसबुक/व्हाट्सअप आदि सोशल मीडिया का
सदुपयोग करें तो उसके बेहतर परिणाम हो सकते है।
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