इन्दौर-दिनांक 11 जुलाई 2015-पुलिस उप
महानिरीक्षक इन्दौर शहर श्री संतोष कुमार सिंह द्वारा अपराधिक तत्वों के विरूद् विशेष
अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत
लम्बे समय से फरार तथा पैरोल से भागे अपराधियों की धरपकड़ की कमान अति. पुलिस
अधीक्षक अपराध शाखा इन्दौर श्री विनय प्रकाश पॉल को सौंपी गई है। इस अभियान के तहत
इन्दौर शहर के कई अपराधियों को शिकंजे में लिया जा चुका है। इसी कड़ी में आज
अति.पुलिस अधीक्षक श्री विनय प्रकाश पॉल के नेतृत्व में पैरोल से फरार कैदियों की
धर पकड़ हेतु गठित टीम द्वारा हत्या के अपराध के फरार आरोपी श्यामलाल चौकसे
(जायसवाल) को पकड़ने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।
आरोपी श्यामलाल पिता रतनलाल चौकसे (जायसवाल) (55)
निवासी फिरोजगांधी नगर थाना परदेशीपुरा इन्दौर,
जन्म से ही अपने पैतृक मकान में निवास कर रहा
था। आरोपी की शादी दिनांक 26 जनवरी 1984 में हुई थी। आरोपी लाईटिगं का कार्य करता था।
शादी के एक साल बाद सन् 1985 में पत्नी से
विवाद होने पर उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी थी। जिस पर से थाना परदेशीपुरा
में अपराध कायम हुआ था।
आरोपी को 21.02.1985 में जेल हुई और 25.02.85 में जमानत पर बाहर आया। आरोपी ने जमानत पर आने बाद 6 माह बाद पुनः दूसरी शादी कर ली थी। उसके बाद
आरोपी को 18.11.85 को सेशन
न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा दी थी। आरोपी श्यामलाल दिनांक 30.11.85 को 12 दिन बाद हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर आया गया था और सन् 1990 तक करीब पांच साल तक जमानत पर बाहर रहा। आरोपी
अपने घर फिरोजगांधी नगर परदेशीपुरा इन्दौर में रहकर लाईट डेकोरेशन का धंधा करता
रहा। आरोपी ने इसी बीच बर्ष 1990 में फिरोजगांधी
नगर में अवैध शराब का धंधा शुरू किया था, जिस पर थाना परदेशीपुरा में अवैध शराब के 2 एवं मारपीट का एक अपराध पंजीबद्ध किये गये थे। वर्ष 1990 में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आरोपी
श्यामलाल की अपील निरस्त करते हुये उसकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए,
उसे पुनः जेल भेज दिया गया था। वर्ष 1992 में आरोपी 10 दिन का पैरोल काटकर वापस जेल में दाखिल हो गया। इसके बाद
आरोपी ने जेल से ही सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपी की आजीवन कारावास की सजा
को बरकरार रखा था, तो आरोपी ने सोचा
कि अब मै कभी भी जिन्दगी भर बाहर नही आ पाउंगा। फिर आरोपी ने जेल में रहकर प्लान
बनाया कि अगर किसी तहर एक बार और पैरोल मिल जाये तो मै कभी जेल वापस नही आउंगा।
कही भी दूर जाकर अपनी पहचान छुपाकर जीवन यापन करूंगा।
दिनांक 9/12/1998 को आरोपी 10 दिन के पैरोल पर
छोड़ा गया था, जिसे दिनांक 21/12/1998 को वापस पैरोल का लाभ उठाकर जेल में दाखिल
होना था, लेकिन आरोपी बनाये हुये
प्लान के मुताबिक पैरोल से फरार होकर अपनी पत्नी व दोनो बच्चो को साथ लेकर इन्दौर
से अपने ससुराल ग्राम बाड़ी थाना कसरावद जिला
खरगौन में आकर रहने लगा। एक सप्ताह रहने के बाद आरोपी ने खरगोन में गौर टे्रवल्स
की बस पर ड्रायवरी करना शुरू किया व बस को खरगौन से इन्दौर चलाने लगा। आरोपी वर्ष 1999 में राज्य परिवहन डिपो बैतूल में सरकारी बस पर
ड्रायवरी करने लगा तथा बैतूल के सदर इलाके में किराये का मकान लेकर परिवार के साथ
रहने लगा। आरोपी ने राज्य परिवहन डिपो में 3 साल तक नोकरी की इसके बाद खरगौन डिपो में ट्रांसफर होकर बस
चलाने लगा व गोपालपुरा खरगौन मे प्लाट लेकर मकान बना लिया व परिवार के साथ वही
निवास करने लगा। इसके कुछ माह बाद राज्य परिवहन निगम की बसे बंद होने से पुनः
बेरोजगार हो गया और खरगौन में ही घर पर किराना दुकान खोलकर अपना जीवन यापन करने
लगा। आरोपी अपने दोनो बच्चों की शादी भी कर चुका है।
आज दिनांक को क्राईम ब्रांच को जरिये मुखबिर
सूचना मिली की आरोपी श्यामलाल चौकसे (जायसवाल) किसी से मिलने चिमनबाग ग्राउण्ड के
पास आया है। उक्त सूचना पर क्राईम ब्रांच व थाना एमजी रोड की पुलिस टीम को लगाया
गया। काफीलम्बे समय से फरार होने के बाद आरोपी को यह एहसास नहीं था कि वह अब कभी
भी पकड़ा भी जाएगा, परन्तु क्राईम
ब्रांच व थाना एमजी रोड पुलिस टीम की पैनी निगाहो से आरोपी बच नहीं सका व घेराबंदी
कर पकड़ा गया।
उक्त फरार हत्यारे को पकड़ने में वरिष्ठ
अधिकारियों के मार्गदर्शन में क्राईम ब्रांच इन्दौर तथा पुलिस थाना एमजी रोड़ की
संयुक्त टीम का महत्वपूर्ण एवं सराहनीय योगदान रहा।