Tuesday, August 7, 2018

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्लाट बेचकर धोखाधड़ी के प्रकरण में फरार चल रहा 10 हजार रुपये का ईनामी आरोपी क्राईम ब्रांच इन्दौर की गिरफ्त में।



आरोपी विभिन्न शहरों में रहकर काट रहा था फरारी।

इन्दौर-दिनांक 07 अगस्त 2018- शहर में जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाकर लोगों से धोखाधडी एवं ठगी कर फरार हुए आरोपियों की पतारसी कर, आरोपियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करनें के निर्देश पुलिस उप महानिरीक्षक इन्दौर शहर श्री हरिनारायणचारी मिश्र द्वारा दियें गयें है। उक्त निर्देशों के तारतम्य मे पुलिस अधीक्षक (मुखयालय) श्री मो0 यूसुफ कुरैशी के मार्गदर्शन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राईम ब्रांच श्री अमरेन्द्र सिंह व्दारा क्राईम ब्रांच की समस्त टीम प्रभारियों को इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही हेतु समुचित दिशा निर्देश देकर कार्यवाही के लिए लगाया।
        उक्त निर्देश पर क्राईम ब्रांच की पुलिस टीम को कृत्यों को अंजाम देकर शहर से फरार चल रहे आरोपियों की पतारसी के दौरान मुखबिर तंत्र के माध्यम से सूचना मिली कि फरार आरोपी सुमित ठाकुर पिता सुरेन्द्र ठाकुर उम्र 26 साल निवासी 357 पाटनीपुरा इन्दौर थाना अपराध शाखा के अपराध क्रमांक 01/17 धारा419, 420, 467, 468, 471, 120-बी भादवि में फरार चल रहा है, जिस पर 10 हजार रुपये इनाम उद्‌घोषित है। अपने घर किसी कार्यक्रम मे शामिल होने आया हुआ है। उक्त सूचना पर त्वरित कार्यवाही करते हुये क्राईम ब्रांच की पुलिस टीम द्वारा दबिश देकर आरोपी सुमित ठाकुर को उसके घर से धरदबोचा गया। पुलिस टीम द्वारा आरोपी सुमित से पुछताछ करनें पर बताया कि उसने मानवता नगर मे अपने साथी मनोहर सिंह, राजेश उर्फ राजू गाईड, राजेश नाथ, शरीफ मेनन, सोहराब पटेल आदि के साथ मिलकर धोखाधड़ी व जालसाजी से प्लॉट के फर्जी दस्तावेज तैयार कर, अन्य किसी व्यक्ति के नाम से रजिस्ट्री कर बेच दिया था और ने धोखाधड़ी से प्राप्त रुपयों को आपस मे बांट लिया था। आरोपी द्वारा जुर्म स्वीकार करने पर आरोपी को विधिवत्‌ गिरफ्तार किया गया ।
            आरोपी सुमित ठाकुर ने बताया कि मानवता नगर मे प्लाट नं 199 दयाल पिता अर्जुन सिंह निवासी विष्णुपुरी के नाम से रजिस्टर्ड था। दयाल सिंह ने उक्त प्लाट को वर्ष 2002 मे योगेन्द्र पाराशर को विक्रय किया था, उसके बाद दयाल सिंह पंजाब चला गया था। बाद योगेन्द्र पाराशर ने, उक्त प्लाट को वर्ष 2005 मे सूरज देवी जैन को बेच दिया था जो कि तत्समय खाली पड़ा प्लॉट था। 2002 में दयाल सिंह के पंजाब चले जाने के बाद ही राजेश राजपूत, आशीष पहाड़िया, एवं अन्य ने संगनमत होकर, आपराधिक षडयंत्र रचकर, मनोहर सिंह बैस को उक्त प्लाट के वास्तविक भू स्वामी दयाल सिंह के रुप मे प्रस्तुत करते हुये उपरोक्त प्लॅाट के जालसाज दस्तावेज तैयार कर, प्लाट का सौदा मनमोहन सिंह अरोरा से 26 लाख 25 हजार रुपये राशि  में तय करते हुये मनमोहन सिंह अरोरा को रजिस्ट्रीशुदा बेच दिया था। उक्त मामले मे पूर्व मे आरोपीगण (1) मनोहर सिंह (2) राजेश राजपूत (3) आशीष पहाड़िया (4) राजेन्द्र उर्फ रज्जू नाथ (5) सोहराब पटेल (6) शरीफ मेनन (7) सुरेश पिता छोटेलाल यादव (8) राजेन्द्र उर्फ राजू गाईड को पुर्व मे गिरफ्तार किया जाकर माननीय न्यायालय मे उक्त आरोपीगणों के विरुध्द चालान भी प्रस्तुत किया जा चुका था। मामले में संलिप्त आरोपी सुमित ठाकुर घटना दिनांक से ही फरार चल रहा था जिसकी गिरफ्तारी के हर संभव प्रयास किये गये थे जोकि आज दिनांक तक फरार चल रहा था। जिसकी सूचना क्राईम ब्रांच की पुलिस टीम को पता होने पर आरोपी सुमित ठाकुर को धरदबोचा गया। आरोपी पर दस हजार रुपये के ईनाम की उद्‌घोषणा जारी की गई थी। आऱोपी सुमित ने बताया कि वह फरारी के दौरान वह अपने पुस्तैनी घर ग्राम गधागंज रायबरेली उत्तरप्रदेश मे छिपकर रह रहा था, आरोपी अपने पाटनीपुरा स्थित घर पर पूजा के कार्यक्रम मे शामिल होने आया था जहां से पुलिस टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया है, आरोपी से अन्य धोखधाड़ी एवं ठगी के मामलों में विस्तृत पूछताछ की जा रही हैं।



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