Monday, October 9, 2017

डेवलपमेंट ऑफ टे्रंड मेनपावर इन फोरेंसिक साइंस विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन



इन्दौर-दिनांक 09 अक्टूबर 2017- पुलिस महानिदेशक म.प्र. भोपाल के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक कांफ्रेस 2017 हेतु, कांफ्रेस के बिन्दु डेवलपमेंट ऑफ टे्रंड मेनपावर इन फोरेंसिक साइंस के क्रियान्वयन हेतु नये उप निरीक्षकों को प्रशिक्षित करने के उद्‌देश्य से, आज दिनांक 09.10.17 को पुलिस कंट्रोल रूम इन्दौर के सभागार में इन्दौर ज़ोन के प्रोबेशनरी उप निरीक्षकों का डेवलपमेंट ऑफ टे्रंड मेनपावर इन फोरेंसिक साइंस विषय पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शुभारंभ अति. पुलिस महानिदेशक (तकनीकी सेवाएं) पुलिस मुखयालय भोपाल श्री डी.सी. सागर द्वारा किया गया। उक्त कार्यशाला में उप पुलिस महानिरीक्षक इन्दौर शहर श्री हरिनारायणाचारी मिश्र, सहायक पुलिस महानिरीक्षक इन्दौर जोन कार्यालय श्रीमती सोनाली दुबे, सहायक पुलिस महानिरीक्षक इन्दौर जोन कार्यालय श्री विनय प्रकाश पाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी एफएसएल यूनिट इन्दौर श्री बी.एल. मण्डलोई, वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी श्री ए.के. बड़ोनिया की उपस्थिति में इन्दौरज़ोन के सभी आठ जिलों के प्रोबेशनरी उप निरीक्षकों ने भाग लिया।

       इस कार्यशाला का शुभारंभ कर अति. पुलिस महानिदेशक श्री डी.सी. सागर द्वारा अपराध अन्वेषण में फोरेंसिक साइंस के महत्व व इस दौरान रखी जाने वाली सावधानियां व हमें किस प्रकार फोरेंसिक साइंस के द्वारा अपराधों की विवेचना की जाना चाहिये, बढ़े ही रोचक ढंग से समझाया गया। इस दौरान उन्होने उपस्थित प्रशिक्षुओं को कई अपराधों के केस स्टडी के माध्यम से उपरोक्त विषय पर आवश्यक जानकारियां देते हुए, एक नौ वर्षीय बच्ची के साथ हुए बलात्कार व हत्या के भोपाल के केस में फोरेंसिक साइंस द्वारा अपराध में किये गये अन्वेषण में सहयोग के माध्यम से उक्त केस में 9 दिन में फांसी की सजा सुनाएं जाने के प्रकरण की केस स्टडी को तथा उत्तर प्रदेश में हुए एक विदेशी महिला से संबंधित केस धर्मदेव यादव वर्सेस स्टेट ऑफ उ.प्र. के प्रकरण की केस स्टडी को पावर पाइंट प्रजेटेंशन के माध्यम से फोरेंसिक साइंस के महत्व को समझाया गया। साथ ही उपस्थित प्रशिक्षुओं को एक अपराध की केस स्टडी के फोटो दिखाकर, उनको गु्रपों में बांटकर ग्रुप डिस्कशन के माध्यम से उक्त घटना पर फोरेंसिकसाइंस के दृष्टिकोण से उसका प्रजेटेशन, प्रशिक्षुओं से करवाया गया। इस दौरान अन्य वरिष्ठ अधिकारियों व वैज्ञानिक अधिकारीयों के द्वारा भी इस विषय पर प्रशिक्षुओं आवश्यक जानकारियां दी गयी।

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