Monday, May 25, 2020


डायल-100 बीवीजी कंपनी के जोनल कोऑर्डिनेटर श्री योगेश श्रीवास्तव ने जोशीली कविता एवं गीत से किया, कोरोना की जंग हेतु इंदौर पुलिस मे नई उर्जा का संचार।

इन्दौर दिनांक 25 मई 2020 -  वर्तमान समय में  पुलिस के मनोबल को बढ़ाने व उनमें सकारात्मकता लाने के लिये पुलिस के वायरलेस सेट पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम गीत हम गाएंगे कोरोना तुम्हें हरायेंगेके अंतर्गत  आज दिनांक 25/05/20 को श्री योगेश श्रीवास्तव डायल 100 बीवीजी कंपनी के जोनल कोऑर्डिनेटर (इंदौर ,उज्जैन संभाग) ने अपनी प्रस्तुति दी,। जिसमें उन्होंने ‘‘विपदा का प्रवेश है, मौत का आवेश है। अडे-रहो, खडे रहों, यह वक्त का आदेश है।‘‘  कविता सुनाकर सभी पुलिसकर्मियों का न केवल मनोबल बढाकर उत्साहवर्धन किया, अपितु और अधिक ऊर्जा के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रोत्साहित किया। तथा उन्होंनें यह गीत व कविता पुरें भारत में कोरोना से बचाये रखनें वाले कोरोना वारियर्स को समर्पित की।
               
                उक्त सकारात्मकता से भरा ओजपूर्ण व जोशीला गीत सुनाने पर पुलिस महानिरीक्षक इंदौर श्री विवेक शर्मा द्वारा श्री योगेश श्रीवास्तव की प्रशंसा करते हुए कहा कि, यह कविता इन्दौर पुलिस कि लिए आत्मबल को बढ़ाकर, इस कोरोना के विरुद्ध जंग में उसका प्रयोग करने के लिये है। उक्त गीत सुनाकर पुलिसकर्मियों का मनोबल बढानें के लिए आईजी sir ने उन्हें धन्यवाद दिया।

प्रस्तुत कविता-

विपदा का प्रवेश है, मौत का आवेश है।।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।

थकना नही है, झुकना नही है।  अब आखिरी तक रुकना नही है।।।
माना कोई हथियार नही, हम जंग के सह सवार है,
 जंग को जीतने के हर हुनर  साथ हम तैयार हैं।
तीन शक्तियों का  अब अनूठा समावेश है।।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।

आहट पा इस  मौत की, आखेट पर आ हम गए।
अपनो से दूर रहके भी उनकी रूहों में समा गए।
इंतज़ार करेंगी चूड़ियां, भिजवा दिया संदेश है।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।


बोलती आंखों का वो प्यार याद आता है।।
मा का बनाया हुआ अचार याद आता है।।
मजबूर नही मजबूत बनाता  हर रिश्तों का निर्देश है।।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।


क्या हुआ जो कुछ पल को अपनो से दूर हो गए,
अनजान रिश्ते कुछ नए  दिल से कबूल हो गए।
उस पार खड़ी ज़िंदगी से मिल रहा यही उपदेश है
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।


माथे का पसीना अब दर्द से  चित्कारता है,
मां का भीगा आँचल भी अब रोकर के पुकारता है,
आजा मेरे लाल आंखें अब तरस गई दरस को
तू दो दिन का कहके गया था या न लौटेगा कुछ बरस को।।
मेने भी कह दिया है माँ ये तेरा ही प्रदेश है।।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।


जंग कहाँ दुनिया मे तलवारों से जीती जाती है।
विजयश्री उनको मिलती है जिनकी चौड़ी छाती है।।
कर्तव्यों के इस मेले में वीर हजारों मिल बैठे हैं।।म्रत्यु भी ऐसे वीरों से मिलने को घबराती है।
शेरों की दहाड़ से अब गूंज उठा परिवेश है।।
अड़े रहो खड़े रहो, अब ये वक़्त का आदेश है।।


वीरान पड़ी सड़कें भी कुछ बोलके जाती हैं।
कल फिर ये आबाद होंगी, खामोशी से समझाती हैं।
तुम कल फिर किसी और राह के पथिक होंगे,
तब भी उन  चुनौतियों से बिल्कुल भी न व्यथित होंगे।।
मौत के भय से घबराता नही योगेश है।।
अड़े रहो, खड़े रहो ये अब वक्त का आदेश है।।

                अंत में उन्होनें ‘‘तुम साथ हो जब अपनें, दुनिया को दिखा देखें देगें। हम मौत को जीने के अंदाज सिखा देगें। गीत गाकर सभी में एक नया जोश भर दिया।



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