Saturday, February 23, 2019

बच्चों को परीक्षा के दौरान तनावमुक्ति के लिये, एसपीसी प्रशिक्षको द्वारा मोटिवेशन सेमिनार मे दिया गया "EARN" का मूल मंत्र



इंदौर- 23 फरवरी 2019- स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना के अंतर्गत इन्दौर पुलिस द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इन्दौर श्रीमती रूचिवर्धन मिश्र एवं स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना की नोडल अधिकारी श्रीमती मनीषा पाठक सोनी के मार्गदर्शन में शासकीय स्कूलों बच्चों को परीक्षा से तनावमुक्ति रखने हेतु, शिक्षकों, मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञो व प्रशिक्षकों द्वारा मोटिवेशनल सेमिनार आयोजित किये जा रहे है।
            आने वाले समय में स्कूल के बच्चों की वार्षिक परीक्षा होने वाली है, इस दौरान वे पूर्णतः परीक्षा के तनाव से मुक्त रहे व अच्छे से परीक्षा की तैयारी करे, इसी को ध्यान में रखते हुए, एसपीसी के चयनित स्कूलों में काउंसलरों व प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिदिन मोटिवेशनल सेमिनार के माध्यम से बच्चों में सकारात्मक विचारों का समावेश किया जा रहा है।
उक्त सेमिनार में मनोवैज्ञानिक श्रीमती दीपा जैन, एसपीसी कोर समिति सदस्य डॉ. शैलबाला गौर तथा उनि (रेडियो) श्री हरबक्क्ष यादव द्वारा बताया गया कि, किशोर अवस्था को तनाव का समय कहा जाता है। इसी समय मेंसबसे बड़ा तनाव होता है, क्योंकि इन बच्चों को न तो बड़ो में गिना जाता है और न ही छोटों में, जिसकी वजह से वह हर समय अपने आपको दुविधा व तनाव में पाता है तथा हर कार्य करने में संकुचित रहता है और इसीलिये उससे गलती होने की संभावना रहती है। अतः बच्चों व उनके अभिभावको व शिक्षकों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

इस दौरान उन्होने बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचने के लिये निम्न बातें बतायी-
·         इस समय ध्यान व योग के माध्यम से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखे।
·         इस समय पॉजिटिव सोच के साथ स्वयं के साथ ही बात कर, अपनी समस्याओं के निराकरण पर ध्यान केन्द्रित करें।
·         बच्चों को EARN का मूल मंत्र दिया गया-
E - Excercise  -            व्यायाम।
A - Always Positive -      हमेशा सकारात्मक सोच।
R - Rest -                  पूरा आराम व भरपूर नींद।
N - Nutrition -             पौष्टिक आहार।

बच्चों के अभिभावकों व शिक्षकों को भी ध्याान रखने वाली कुछ जरूरी बाते बतायी गयी-
·         किशोर अवस्था में बच्चों की निर्णय लेने की क्षमता उतनी विकसित नहीं होती है, जिस कारण उनका हर समस्या के निराकरण हेतु भावनात्मक पक्ष की ओर झुकावरहता है। इसलिये उन्हे हर बात का हल तथ्यों के आधार पर बतायें।
·         बच्चों द्वारा लिये गये निर्णय के क्या दुष्परिणाम होगे, उससे भी उन्हे अवगत करावें।
·         बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें व उनसे भावनात्मक रूप से हर प्रकार से जुड़े।
·         बच्चों की पंसद के कार्य को महत्व दे ताकि उन्हे लगे कि वह भी हमारे लिये बहुत महत्व रखते है।






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