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सोनामिंट व
सोडामिंट नामक टेबलेट्स बनाई जाती थी सोडियम बायकारबोनेट से जो की दवाई के लिये
उपयुक्त नही होता था
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आयुष विभाग के
अधिकारीयों व्दारा सील किया गया कारखाना
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चाचा व भतीजे
मिलकर कर रहे थे कई सालों से यह धंधा , कुछ मुनाफे के लिये अनुपयुक्त मटेरियल से बनाई जा रही थी टेबलेट
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कारखाने से कई
मटेरियलों की जाँच हेतु लिये गये सैंपल
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इन्दौर के
दवाबाजार मे खपाते थे अधिकतम दवाईयां
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भारतीय ड्रग एवं
कास्मेटिक एक्ट के अन्तर्गत बनाये गये अनेकों नियमो की अनदेखी कर जानबूझकर
निम्नगुणवत्ता की एलौपेथिक दवाये बनाकर अपने आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये
आम लोगो के स्वास्थय एवं जीवन के साथ किया जा रहा था खिलवाड।
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अपमिश्रित एवं
अमानक दवाईयों को शासकीय खरीदी में करते थे सप्लाई
इंदौर- दिनांक 22 जनवरी 2020- नवागत पुलिस
महानिरीक्षक इन्दौर झोन श्री विवेक शर्मा के द्वारा इन्दौर शहर मे नकली, अमानक तथा मिलवाटी दवाई बनाने वाले आरोपीयों की धरपकड़ तथा उन
पर प्रभावी कार्यवाही करने के इन्दौर पुलिस को निर्देश दिये गये थे । उक्त
निर्देशो के पालन मे इन्दौर पुलिस क्राईम ब्रांच, आयुष विभाग , ड्रग्स विभाग, थाना
हातोद, थाना एरोड्रम की एक संयुक्त टीम का गठन किया
गया जिसे मिलावटी दवाई बनाने वाले कारखानों पर दबिश देकर आरोपीयों की धरपकड़ करने
हेतु समुचित दिशा निर्देश दिये गये थे।
क्राइम ब्रांच इन्दौर की टीम को इस कडी मे कार्यवाही के दौरान
मुखबिर तंत्र के माध्यम से सूचना मिली की म.नं. 35 शिक्षक नगर मे एक व्यक्ति मिलावटी दवाई बनाने का काम करता है तथा उसी
स्थान पर कारखाना भी चलाता है ।थाना एरोड्रम पुलिस,ड्रग इंसपेक्टर इन्दौर,आयुष विभाग के
अधिकारी के साथ क्राईम ब्राँच की टीम व्दारा मौक पर पहुंचकर दबिश दी, जहाँ पर दो लोग उपस्थित मिले जिनसे नाम पता पूछने पर अपना नाम
संतोष पिता साहीबराव पाटिल उम्र 38 साल नि. 102 धर्मराज कालोनी इन्दौर तथा फेक्ट्री का संचालक नरेन्द्र जैन
पिता एस.एल. जैन उम्र 54 साल नि. कालानी नगर इन्दौर उपस्थित मिले। कारखाने के
निरीक्षण के दौरान पाया गया की कारखाने मे सोनामिन्ट नाम से दवाई बनायी जाती है,
तथा मार्केट मे होल सेल मे बेची जाता है । कारखाने पर
सोनामिन्ट नाम की दवाई की लाखों टेबलेट खुले मे कंटेनरो मे रखी मिली, जो की संचालक नरेन्द्र जैन के व्दारा कारखाने मे ही बनवाई
जाती थी। सोनामिन्ट टेबलेट मे सोडियम बायकारबोनेट 250 एमजी, मेनथाल.03 एमजी, जींजर 10 एमजी , पेपरमेंट आईल .0024 एमएल तथा शक्कर व कलर मिलाकर बनाया जाता था एक डब्बे मे 1000 टेबलेट पैक की जाती थी । एक डब्बा नरेन्द्र जैन व्दारा 17 रुपये मे बेचा जाता था जो की मार्केट मे 60 रुपये मे बिकता था। संचालक नरेन्द्र जैन व्दारा जो दवाई बनाई
जाती थी उसमे सोडियम बायकारबोनेट जो उपयोग किया जाता था वह मेडिकल मे उपयोग करने
लायक नही होता था। कारखाने मे कुल 27 बोरीयां मिली जो
मेडिकल मे उपयोग नही कि जाने वाले सोडियम बायकारबोनेट की थी, जिससे नरेन्द्र जैन व्दारा दवाई बनाकर मार्केट मे बेचा जा रहा
था जिन्हे पुलिस व्दारा जप्त किया गया है। नरेन्द्र जैन ने अपने भतीजे राजू
बंबोरीया के नाम से फार्माकेम नाम से लायसेंस ले रखा था जो कि आयुर्वेदिक दवाई
बनाने का लाइसेंस था, किन्तु उसके कारखाने पर कई एलोपेथिक दवाईयां जो की वर्ष 2009 के पूर्व मे ही एक्सपायर्ड हो गयी है, उनकी भी तीस बोरी रखी मिली। नरेन्द्र जैन के व्दारा टेबलेट बनाने के लिये
दो मशीनो का उपयोग किया जाता था। आयुष विभाग के अधिकारीयों व्दारा अनुपयुक्त रा
मटेरियल का सैंपल लेने के पश्चात एक रिपोर्ट मय प्रतिवेदन के थाना एरोड्रम मे
प्रस्तुत कि जिसमे स्पषट किया गया की संचालक नरेन्द्र जैन , मालिक राजू बंबोरीया व कर्मचारी संतोष पाटिल व्दारा दवाई बनाने के लिये
अनुपयुक्त सोडियम बायकारबोनेट का उपयोग किया जाकर दवाई की बडी खेप तैयार की जा रही
है तथा इस प्रकार से धोखाधडी से काफ़ी मुनाफा कमाया जा रहा है, उक्त प्रतिवेदन व रिपोर्ट के आधार पर थाना एरोड्रम पुलिस
व्दारा अपराध क्रमाँक 40/2020 धारा 420
, 274 , 275 भादवि का अपराध आरोपीगण संचालक नरेन्द्र
जैन , मालिक राजू बंबोरीया व कर्मचारी संतोष पाटिल
के विरुध्द पंजीबध्द कर विवेचना मे लिया गया तथा आरोपीगण नरेन्द्र जैन तथा संतोष
पाटिल को विधिवत् गिरफ्तार किया गया है।
आरोपी
नरेन्द्र जैन ने पूछताछ पर बताया की वह करीब 18 साल से दवाई बनाने का काम कर रहा है। पहले वह वर्ष 2000-09 तक एलोपेथि दवाई बनाने का काम करता था । वर्ष 2009 से वह आयुर्वेदिक दवाई बनाने का काम कर रहा है । उसके भतीजे
राजू बंबोरिया के नाम से उसने फार्माकेम नाम से लाईसेंस लिया था। नरेन्द्र जैन के
व्दारा बताया गया की वह दवाई बनाने के उपरान्त इन्दौर शहर के विभिन्न फार्मा को
दवाईयों का सप्लाय करता था जिनके नाम सुगन फार्मा , जैनम फार्मा , शाह फार्मा , माताश्री फार्मा , ममता मेडिकोज
जैसे कई फार्मा एजेंसियों को दवाबाजार मे होलसेल मे दवाई सप्लाय करता था। उसके
व्दारा बताया गया की हातोद मे पालिया रोड पर उसके भतीजे राजू बंबोरिया का एक ओर
कारखाना है, जिसमे एलोपेथिक दवाईया बनाई जाती हैं
। कारखाने पर भी क्राईम ब्रांच की दूसरी टीम तथा ड्रग्स विभाग की टीम व्दारा
निरीक्षण किया गया तो वहाँ पर भी लाईसेंस मे दि गयी शर्तो को उल्लंघन होना पाया
गया तथा कई अनियमितता पायी गयीं। टीम व्दारा दबिश के दौरान पाया गया की भारतीय
ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट के अन्तर्गत बनाये गये अनेकों नियमो की अनदेखी कर
जानबूझकर निम्नगुणवत्ता की एलौपेथिक दवाये बनाकर अपने आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति
के लिये आम लोगो के स्वास्थय एवं जीवन के साथ खिलवाड किया जा रहा है। फैक्ट्री के
भीतर अकुशल वृध्द महिला श्रमिकों से गंदगी पूर्ण जगह पर बिना प्रयोगशाला परीक्षण
के तथा दवाओं मे प्रयुक्त रसायनों के सही अनुपात की मात्रा का ध्यान रखे बिना बडे
पैमाने पर दवा निर्माण किया जा रहा है। एक ही कैंपस के भीतर कैपसूल , टेबलेट्स, सीरप का निर्माण
किया जा रहा है।इस प्रकार की बडी अनियमितता पाये जाने पर ड्रग्स विभाग व प्रशासनिक
अधिकारियों के व्दारा एरो फार्मा के पालिया स्थित फैक्ट्री को सीलबंद किया गया तथा
नमुना सैंपल की जाँच रिपोर्ट पश्चात उसका लायसेंस रद्द कर दिया गया एवं ड्रग्स एवं
कास्मेटिक्स एक्च के तहत् कार्यवाही की जा रही है।
आरोपी नरेन्द्र जैन व्दारा बताया गया की उक्त दवाईयां एसिडिटी
व गैस की समस्या से पीडित लोगो के उपयोग मे आती है। नरेन्द्र जैन के व्दारा उक्त
दवाईयां सोडियम बायकारबोनेट से बनाई जाती थी, जो की मेडिकल के लिये उपयोगी नही है। नरेन्द्र जैन के कारखाने से वर्ष 2009 की एक्सपायर्ड दवा के करीब 30 बोरे आज भी उसके कारखाने मे दुरुपयोग हेतु रखे हैं, जिन्हे पुलिस व्दारा
जप्त किया गया है। आरोपी व्दारा करीब 10 से 12 फार्मा कंपनीयों को उक्त दवाई बेची जाती थी, जिससे उसे
एक महिने मे लाखों रुपये का मुनाफा होता था। चंद रुपयों के मुनाफे के लालच मे
आरोपी नरेन्द्र जैन व्दारा मेडिकल मे उपयोग मे नही लाये जाने वाले सस्ते दाम के
सोडिया बायकारबोनेट तथा अन्य प्रोडक्ट उपयोग मे लाये जाते थे। आरोपी मुख्य तौर पर
सभी दवाईयां इन्दौर के दवा बाजार मे ही खपाता था। आरोपीयों द्वारा पुछताछ में यह
बताया गया है कि उक्त दवाईयां विभिन्न ठेकेदारों को सस्ते दामों में शासकीय सप्लाई
को पुरा करने के लिये दी जाती थी।
आरोपीगण के विरुध्द थाना एरोड्रम मे अपराध दर्ज कर विवेचना की
जा रही है। जांच हेतु लिये गये सैंपलो की रिपोर्ट आने के पश्चात आरोपीगण के
विरुध्द अन्य कई धाराओं का इजाफा किया जायेगा। आरोपीगण से पूछताछ उपरान्त अन्य
लोगो के नाम सामने आने पर उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
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