Sunday, October 11, 2020

"शारीरिक स्वास्थ्य के समान ही मानसिक स्वाथ्य के महत्व को समझाने" हेतु आयोजित की गई ऑनलाइन कार्यशाला।


इंदौर दिनांक 11 अक्टूबर 2020- कल  दिनांक 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज, देवी अहिल्या विश्व विद्यालय, इंदौर  के द्वारा गुरु दक्षिणा समूह, इंदौर मानसिक स्वास्थ्य संस्था तथा स्टूडेंट पुलिस कैडेट योजना जिला, इंदौर (म. प्र.) के सहयोग से ऑनलाइन  वार्ता आयोजित की गई, जिसका मुख्य उदेश्य "शारीरिक स्वास्थ्य के समान मानसिक स्वाथ्य के महत्व को समझना" था।

 

वार्ता का विषय -

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को बढ़ाना तथा नवीन सामान्य को समझना (covid -19,  वर्तमान परिस्थिति के अनुसार )

 

इस ऑनलाइन वार्ता की अध्यक्ष - डॉ रेखा आचार्य, एच.ओ.डी., स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज, डी.ए. वि.वि. इंदौर तथा मुख्य अतिथि - श्रीमती मनीषा पाठक सोनी, ए.एस.पी. हेड क्वार्टर, इंदौर रही तथा मुख्य वक्ता की भूमिका डॉ. राहुल माथुर, असिस्टेंट प्रोफेसर, (साइक्याट्री), एम. जी. एम. कॉलेज, इंदौर तथा डॉ. रेखा आर्या, पी.एच.डी. क्लिनिक साइकोलॉजी, रिहाबिलिटेशन साइकोलॉजी (आर.सी.आई.) ने निभाई।

 

कार्यक्रम का प्रांरभ श्रीमती मनीषा  पाठक सोनी जी के उदबोधन द्वारा हुआ जिसमे उन्होंने गुरु दक्षिणा समूह तथा इंदौर मानसिक स्वास्थ्य संगठन की लॉकडाउन के समय में प्रभावित पुलिस कर्मियों को मनोवैज्ञानिक परामर्श तथा वार्ता द्वारा दिए गए सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पुलिस कर्मचारी एक इंसान है तथा लगातार विपरीत और कठिन परिस्थिति मे काम करते हुए उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है जितना की उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना।  उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता.परस्थिति, वातावरण उसे अपराधी बना देती है. यदि हम प्रत्येक बच्चे के बचपन से ही  उसके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे तो अपराध और अपराधी बहुत कम हो सकते है।

 

मुख्य वक्ता डॉ. राहुल माथुर के अनुसार वर्तमान परिस्थिति मे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर इसलिए अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव आया है क्यों कि इस महामारी ने मनुष्य से मनुष्य की सामाजिक दूरी को बड़ा दिया है, पर हमारे  लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भवनात्मक दूरी नहीं बढ़ानी है।

डॉ माथुर ने मानसिक स्वास्थ्य कें साथ ही मानसिक बीमारी, उसके मुख्य प्रकार जैसे - डिप्रेशन, सीवियर डिप्रेशन, एंजायटी, आत्महत्या, व्यसन,ऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर, इटिंग डिसऑर्डर  को अत्यंत स्पष्ट तथा सरल शब्दों मे समझाया।

डॉ माथुर के अनुसार डब्लू.एच,ओ.  के अनुसार डिप्रेशन विश्व मे मृत्यु का दूसरा कारण हो गया है, यदि हम प्राथमिक अवस्था मे ही जागरूक होकर चिकत्स्कीय तथा मनोविज्ञानीक  परामर्श ले तो हम स्वयं तथा दूसरों को भी समय रहते बचा सकते है। डॉ माथुर ने आत्महत्या से बचाने के प्रांरभिक अवस्था की सहायता को तथा तकनीक को चरणों द्वारा स्पष्ट किया।

 

डॉ  रेखा आर्या ने मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के साथ इससे जुड़े हुए व्यतिगत, सामाजिक झिझक, असामन्य या मानसिक बीमारी के नामांकन का भय पर सरल और स्पष्ट शब्दों मे प्रकाश डाला। उनके अनुसार प्र्तेयक व्यक्ति, विद्यालय,  संस्थान की स्वयं की जिम्मेदारी है कि वह मानसिक स्वास्थ्य पर उतना हीं ध्यान दे जितना अन्य उन्नत बदलाव तथा  वृद्धि पर ध्यान देते है। डॉ रेखा आर्या ने मानसिक स्वास्थ्य तथा मानसिक अस्वास्थय के अंतर को मुख्य लक्षणों के द्वारा उदाहरणों से स्पष्ट करते हुए, मानसिक बीमारी  को पहचानने के समान्य लक्षणों को भी चरणों मे, समान्य उदारहणो से समझाया।

 

डॉ माथुर तथा डॉ आर्या  के अनुसार डब्लू.एच.ओ.  के अनुसार डिप्रेशन विश्व मे मृत्यु का दूसरा कारण हो गया है यदि हम प्राथमिक अवस्था मे ही जागरूक होकर चिकत्स्कीय तथा मनोविज्ञानीक  परामर्श ले तो हम स्वयं तथा दूसरों को भी समय रहते बचा सकते है।

डॉ राहुल माथुर तथा डॉ रेखा आर्या द्वारा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रकाश डाला गया।

 

कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ रेखा आचार्य ने सभी का धन्यवाद करते हुए, सभी को अपने भूत काल व भविष्य की चिंताओं से हटकर वर्तमान मे जीने की सलाह दी।  उनके अनुसार भूतकाल बदल नहीं सकते, भविष्य नियंत्रित नहीं कर सकते तो यदि हम विचारों से वर्तमान मे रहेंगे तो हम ज्यादा स्वस्थ तथा खुश रह पाएंगे।

 

कार्यक्रम की समन्वयक आयुषी मिश्रा जी  रही तथा समूह समन्वयक की भूमिका श्री गोविन्द नारायण शर्मा जी  ने निभाई। कार्यक्रम का संचालन श्री बतुल सैफी जी के द्वारा किया गया वहीं श्रीमती ज्योति खोचे जी के आभार प्रदर्शन के साथ उक्त ऑनलाइन वार्ता सम्पन्न हुई।




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