Monday, June 15, 2020

कर्तव्य के ही तीरथ पर मैं, देशभक्ति की राह का राही हूं, मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं.....। उप निरीक्षक श्री लोकेश गेहलोत ने उक्त कविता के माध्यम से दर्शायी, पुलिस की कर्तव्यपरायणता


               


इन्दौर दिनांक 15 जून 2020 - वर्तमान समय में पुलिस के मनोबल को बढ़ाने व उनमें सकारात्मकता लाने के लिये पुलिस के वायरलेस सेट पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘‘गीत हम गाएंगे कोरोना तुम्हें हरायेंगे’’ के अंतर्गत आज दिनांक 15.06.2020 को पुलिस कंट्रोल रूम में पदस्थ उनि (रे.)श्री लोकेश गेहलोत ने अपनी प्रस्तुति  दी, जिसमें उन्होनें पुलिस के कर्मवीर योद्धाओं को नमन करते हुए, पुलिस की कर्तव्यपरायणता को दर्शाती हुई एक स्वरचित कविता ‘‘देशभक्ति की राह का राही हूं...., मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं सुनाई। इस कविता के माध्यम से सभी पुलिसकर्मियों का न केवल मनोबल बढाकर उत्साहवर्धन किया, अपितु और अधिक ऊर्जा व जोश के साथ कोरोना की इस जंग को लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

                उक्त पुलिस की कर्तव्यपरायणता दर्शाने वाली व उत्साह से भरी कविता सुनाने पर पुलिस उप महानिरीक्षक इंदौर श्री हरिनारायण चारी मिश्र ने उनि श्री लोकेश गेहलोत उनकी कविता की प्रशंसा व उत्साहवर्धन करते हुए, उन्हें 500 के नगद पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। 
               साथ ही उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप सभी के द्वारा पूरे जोश व उत्साह के साथ बहुत ही अच्छी ड्यूटी की जा रही है। इस बीमारी से हमारे कुछ साथी गण जरूर संक्रमित हो गए थे, लेकिन उनमें से अधिकतर पूर्णतः स्वस्थ होकर वापस आ गए हैं। उन्होनें सभी से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता  पर विशेष ध्यान देते हुए पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ ड्यूटी करने की समझाइश दी गई और कहा कि आप सभी के द्वारा जो एकजुटता और उच्च मनोबल के साथ काम किया जा रहा हैं,तो निश्चय ही आपके इस जज्बे से हम ये जंग जरूर जीतेंगे।

उप निरीक्षक द्वारा रचित कविता -

निकल पड़ा कर्मपथ पर मैं
खाकी पहन धर्मरथ पर मैं।
जहां भेजा वहां चला गया,
कर्तव्य के ही तीरथ पर मैं।।
देशभक्ति की राह का राही हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं।।

संकट से कभी डरा नही
शिकन चेहरे पर जरा नही।
जिससे शर्मिंदा हो वर्दी मेरी
काम ऐसा कभी करा नही।
अमिट संविधान की स्याही हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं।

डटा कोरोना योद्धा रूप में
चिलचिलाती कड़ी धूप में।
वह अपमान करते रहे मेरा
सेवा करते रहा होकर चुप मैं।
स्वयं महाकाल की गवाही हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं ।

चंद्रवंशी सर को दम तोड़ते देखा
यशवंत सर को साथ छोड़ते देखा।
साथियों को खोते रहा रोज ही
वर्दी को ड्यूटी पर दौड़ते देखा।
कभी कभार मौत अनचाही हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं।


जहां कर्मवीरों को घसीटा गया
चन्दन नगर में मुझे पीटा गया।
मैं हाथ जोड़कर समझाता रहा
कर्तव्य अपने खूब निभाता रहा।
मैं विजय रथ की आवाजाही हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं।

कामयाबी से प्रीत कर आएंगे
हर जंग हम जीत कर आएंगे।
हारे कोरोना भारत मुस्कुराए
काम पावन पुनीत कर आएंगे।
गाथा कवियो के द्वारा गायी हूं,
मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं......
        मैं मप्र पुलिस का सिपाही हूं.....
जय हिंद जय भारत



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