✓ क्राईम ब्रांच इंदौर द्वारा की गई जांच में 05 आरोपियों को पाया गया दोषी, बैंक मैनेजर की
भूमिका भी पाई गई संदिग्ध।
✓ फरियादी के दस्तावेजों का छलपूर्वक उपयोग कर, आरोपियों ने करा लिया था 09 लाख 50 हजार रूपये का लोन स्वीकृत।
✓ आरोपियों ने अपने रिशतेदार के ऑटो लोन हेतु बतौर गारण्टर भी
फरियादी के दस्तावेजों को किया था प्रयोग।
✓ फरियादी को बैंक से लोन चुकाने हेतु नोटिस प्राप्त होने पर उजागर
हुआ घटनाक्रम।
✓ आरोपियों ने स्वीकृत लोन की राशि का किया निजी उपभोग, फरियादी को लगाई चपत।
इंदौर-29 जून 2019- अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंदौर झोन इंदौर श्रीमान वरूण कपूर जी के
समक्ष में उपस्थित होकर फरियादी ने धोखाधड़ी पूर्वक 10 लाख रुपए की ठगी
होने की शिकायत की थी। उपरोक्त शिकायत के संदंर्भ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इन्दौर
श्रीमती रूचिवर्धन मिश्र व्दारा फर्जी तथा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर लोन दिलाने के नाम
पर धोखाधड़ीपूर्वक जालसाजी से आर्थिक रूप से ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाले
अपराधियों की धरपकड कर उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करने के लिये इन्दौर पुलिस
को निर्देशित किया गया था। उक्त निर्देशों के तारतम्य में पुलिस अधीक्षक
(मुख्यालय) इंदौर श्री अवधेश गोस्वामी के निर्देशन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
(क्राईम ब्रांच) श्री अमरेन्द्र सिंह के मार्गदर्शन में क्राईम ब्रांच द्वारा, अमनि कार्यालय से
प्राप्त उपर्युक्त शिकायत की जांच की गई।
उपरोक्त शिकायत में आवेदक कैलाश पिता
चुन्नी लाल बडौनिया निवासी-खातीवाला टैंक महाकाल चौराहा इन्दौर द्वारा अनावेदक
गुरुदीप सिह चावला, रणवीर सिंह चावला उर्फ रिक्की चावला एवं गुरुवीर सिह चावला के
विरूध्द आवेदक के नाम के दस्तावेजों का गलत उपयोग कर, मिथ्या सत्यापन के
आधार पर कूटरचित दस्तावेज तैयार करके छलपूर्वक आन्ध्रा बैक शाखा छावनी इन्दौर से 950000/-रूपये का लोन
स्वीकृत कराने एवं विजया बैंक में आवेदक को गारंण्टर के रुप में प्रयोग करके
धोखाधड़ी करने के संबंध मे आरोप लेख किया था।
उपरोक्त शिकायत,
की जाँच के दौरान विभिन्न बिन्दुओं पर
कार्यवाही करते हुये यह पाया गया कि आवेदक कैलाश बड़ौनिया कक्षा 02 तक पढा होकर करीब 64 साल का बुजुर्ग
व्यक्ति है और खातीवाला टैंक में स्थित महाकाल मंदिर के पास कैलाश भैया नाम से
ढाबा चलाता है। जोकि कच्चे टपरे में ही चाय नाश्ते की दुकान चलाता है। आवेदक के
द्वारा रुपयों की आवश्यकता को लेकर अनावेदक रणवीर सिंह चावला, गुरुवीर सिह चावला
एवं गुरुमीत सिह चावला से बैंक से लोन दिलाने की चर्चा की गई थी इसलिये उपरोक्त
अनावेदकों के द्वारा लोन स्वीकृति में लगने वाले आवश्यक दस्तावेज आवेदक कैलाश
बड़ौनिया से प्राप्त कर लिये गये थे। आवेदक को विजया बैंक से लोन दिलाने का आश्वासन
देकर उसका खाता विजया बैंक में अनावेदकगणों ने खुलवाया बाद अनावेदकगणों के
रिश्तेदार मनिन्दर सिह खरबंदा के द्वारा उसी विजया बैंक से ऑटो लोन लिया गया
जिसमें आवेदक कैलाश बड़ौनियां के दस्तावेजों को धोखाधडी पूर्वक उपयोग कर उसे ऑटो
लोन स्वीकृति के लिये बैंक में गारण्टर बना दिया गया।
अनावेदगणों ने पुनः विजया बैंक की
बजाय आन्ध्रा बैंक से लोन दिलाने का आश्वासन देकर आवेदक के दस्तावेजों का उपयोग कर
बैंक में खाता खुलवाया और लोन संबंधी दस्तावेंजों पर छलपूर्वक हस्ताक्षर कराये
जिसमें आवेदक के स्वामित्व की फर्जी संस्था सांई कम्प्युटर एण्ड फर्नीचर बताते
हुये (प्रोपराईटर नितिन सोनी) संस्था के लिये फर्नीचर की आवष्यकता होने पर कोटेशन
लगाकर 9,50,000/-रूपये का लोन स्वीकृत कराया गया और उक्त लोन की राशि सांई
कम्प्यूटर एवं फर्नीचर के खाते में जमा की गई थी जोकि अनावेदक नितिन सोनी के
द्वारा संस्था के खाते से नगद आहरित कर ली गई। प्रोपराईटर नितिन सोनी के द्वारा
फर्जी कूट रचित कोटेशन उपलब्ध कराया गया और उक्त स्वीकृत लोन के एवज में आवेदक को
कोई सामान अथवा नगदी नहीं दी जाकर, अनावेदगणों द्वारा उपरोक्त स्वीकृत
लोन की राषि का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से उपभोग किया जाकर अवैध लाभ अर्जित
किया गया। आवेदक के दस्तावेजों के आधार पर आन्ध्रा बैंक से स्वीकृत लोन की कुल
राशि 9,50,000/-रूपये में से वर्तमान बकाया राशि 964230/-रूपये (नो लाख चौंसठ हजार दो सो तीस
रुपये/ब्याज सहित) बैंक में जमा की जानी है जिस हेतु आन्ध्रा बैंक से आवेदक कैलाश
बड़ौनियां को नोटिस प्राप्त हुआ,
जबकि आवेदक को किसी भी प्रकार से बैंक
से लिये गये लोन की राशि का लाभ प्राप्त नही हुआ। इस प्रकार अनावेदक 01. गुरुदीप सिह चावला
पिता गुरुवीर सिह 02. रणवीर सिह चावला उर्फ रिक्की चावला पिता गुरुवीर सिह ,03. गुरुवीर सिह चावला, 04. मनिन्दर सिह खरबंदा, 05. नितिन सोनी द्वारा
सुनियोजित षडयंत्रपूर्वक संगनमत होकर आवेदक कैलाश बडोनिया के दस्तावेंजों का गलत
उपयोग, मिथ्या सत्यापन तथा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर आन्ध्रा बैक शाखा
छावनी इन्दौर से 9,50,000/-रूपये का लोन भी स्वीकृत कराया गया और विजया बैंक में आवेदक को
छलपूर्वक गारंण्टर के रुप में प्रयोग कर आवेदक के साथ धोखाधडी की गयी।
उपरोक्त घटनाक्रम के परिपेक्ष्य में थाना संयोगितागंज जिला इन्दौर
में अनावेदकों के विरुद्ध अपराध क्रमांक 292/19 धारा 420,467,468,471,120 बी, 34 भादवि के तहत
पंजीबद्ध किया गया है।
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