इन्दौर-दिनांक
13 मई 2017- पुलिस अधीक्षक मुखयालय श्री मो. युसुफ कुरैशी
एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राईम ब्रांच श्री अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि,
थान
अपराध शाखा के अपराध क्रमांक 16/15 धारा 419 420 467 468 471 120-बी
भादवि एवं 66-डी आय.टी.एक्ट के प्रकरण में गाजियाबाद उ.प्र.
से गिरफतार किये गये आरोपी आकाशदीप पिता सोहनबीर सिंह चौधरी को आज माननीय न्यायालय
में पेश किया गया था, जिस पर आरोपी का दिनांक 16.5.2017 तक
का पुलिस रिमाण्ड स्वीकृत किया गया है।
पुलिस टीम द्वारा आरोपी से पूछताछ करने पर उसने
बताया कि इसके पूर्व वह रोजगार डॉट कॉम में भी यही काम करता था। रोजगार डॉट काम
में मात्र 4 महिने की नौकरी के दौरान ही उसने, इस
कनसेप्ट को चुरा लिया था। जहां से अपने साथी प्रदीप नरवाल के साथ मिलकर एक नई
कम्पनी बनाई और उसी कनसेप्ट पर काम करना चालू कर दिया। आरोपी आकाशदीप को पूर्व में
ऑपरेशसं का अच्छा अनुभव होने से उसके द्वारा इस कम्पनी में लगभग 250-300
लोगो को लगाया जाकर बडै पैमाने पर देश व्यापी धोखाधडी की गयी।कम्पनी द्वारा रूपयें
1600/- की रजिस्ट्र्रेशन फीस ऑनलाईन ली जाती थी। कम्पनी का एक्जीक्यूटिव
आवेदक को रजिस्ट्र्रेशन फीस ऑनलाईन ट्र्रांसफर करने की प्र्रोसेस समझाता रहता था
और जैसे ही रजिस्ट्र्रेशन फीस ट्रांसफर होती थी वह उसे कम्पनी के अन्य आकर्षक और
लुभावने प्लान बताकर देश की बडी मल्टीनेशनल कम्पनीज में अच्छे पैकेज की नौकरी
दिलाये जाने का झांसा देकर उसके सिस्टम को टीम व्यूअर लेकर पेमेन्ट गेटवे सी.सी.
एवेन्यू और मोबिक्विक के माध्यम से कई पैकेजेस की राशि स्वयं ही कम्पनी के वॉलेट
में ट्र्रांसफर कर देता था।
सी.वी.नौकरी सर्विसेस प्रा.लि. द्वारा इस हेतु
सी.सी.एवेन्यू और मोबिक्वक दो पेमेन्ट गेटवे का उपयोग किया जा रहा था। पेमेन्ट
गेटवे मोबिक्विक को कम्पनी की गतिविधियां संदिग्ध लगने से उनके द्वारा कम्पनी का
वॉलेट सीज किया हुआ है जिसमें लगभग 15 लाख रूपयें जमा होने की जानकारी मिली
है जिसके बाबत विवेचना की जा रही है। मोबिक्विक द्वारा ही एक अन्य पेमेन्ट गेटवे
झाक ई पेमेन्ट में भी सी.वी. नौकरी सर्विसेस प्रा.लि. का वॉलेट बनाया गया था जिसकी
जानकारी प्राप्त की जा रही है।
आरोपियों की कम्पनी पूरी तरह से किराये के
कम्प्युटर्स इत्यादिपर संचालित की जा रही थी जिसमें अधिक से अधिक लोगो को लुभावने
ऑफर्स में फंसाकर उनसे राशि को हडपना ही मुखय उद्वेश्य रहा है। आरोपी आकाशदीप ने
बताया कि कम्पनी में रजिस्ट्र्रेशन करने वाले उम्मीदवारो में से मात्र 20-25
प्रतिशत ही लोगो को सही सर्विस दी गई थी बाद में कम्पनी के विरूद्व देशभर में
असंतोष व्याप्त होने पर हैदराबाद, मुम्बई, राजस्थान,
नोयडा
और अन्य जगहो से पुलिस शिकायत मिलना चालू हो गई थी जिसमें दोनो डायरेक्टर्स द्वारा
आवेदकों को उनकी राशि की वापसी की जाकर प्रकरण को निराकृत कराया था।
इन्दौर पुलिस थाना क्राईम ब्रांच के प्रकरण की
सूचना दोनो ही आरोपियों को तत्समय ही मिल गई थी जिससे बचने के लिए कम्पनी बन्द
होने के बाद दोनो ही डायरेक्टर्स द्वारा पुराने फोन नम्बर्स बन्द कर दिये गये और
पुराने पतो को तब्दील कर अपनी पहचान छुपाना चालू कर दिया था।
आरोपी आकाशदीप फरारी अवधि में गाजियाबाद में
रहा है और जिस बिल्डिंग में रह रहा है वहां की रेसीडेन्ट वेलफेयर सोसायटी का
एक्टिव मेम्बर रहा है, जहां उसने स्वयं को पुलिस दल से बचाने के लिए
सोसायटी के सिक्यूरिटी गार्ड, एवं अन्य सर्विस प्रोवाईडर्स सेअच्छा
तालमेल बना रखा था ताकि उसके लिए आने वाले पुलिस दल या अन्य बैंक अधिकारियो,
जो
बैंक की किश्त वसूलने आने वाले थे उसकी सूचना उसे पूर्व से ही मिल सकें। इसी बात
का फायदा उठाकर आरोपी पुलिस दल के उसकी बिल्डिंग में पहुंचने पर उसे सूचना मिल गई
और जैसे ही वह बिल्डिंग में प्रवेश होते ही अपनी कार से पुनः वहां से फरार हो गया।
इस पर पुलिस दल द्वारा हिकमत अमली से कार्य करते हुए उसे अपने चंगुल में फसां
लिया।
आरोपी ने बताया कि सी वी नौकरी सर्विसेस
प्रा.लि. के दौरान ही उसके द्वारा गाजियाबाद के पब्लिक रिक्रासिंग में एक दो
बेडरूम हॉल किचन का फ्लेट और महिन्द्रा की एक्सयूवी गाडी क्रय की थी जिसकी जानकारी
प्राप्त की जा रही है।
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