इन्दौर-दिनांक
19 अक्टूबर 2016-पुलिस थाना छत्रीपुरा के अपराध क्रं 151/16
धारा 420,406 भादवि मे कार्यवाही करते हुए, पुलिस
थाना जूनी इदौर के द्वारा प्रकरण के आरोपियों को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण
सफलता प्राप्त की है।
दिनांक 07.06.16 को फरियादी
नितिन गवते पिता अशोक गवते व्दारा पुलिस थाना छत्रीपुरा पर उपस्थित होकर रिपोर्ट
कि की मै डी 9/1 एमओजी लाईन मे रहता हूं तथा सेल्समेन का काम
करता हूं। मै अंकुर अवस्थी निवासी सुदामानगर इन्दौर को विगत 8
सालो से जानता हूं। आज से करीब दस माह पूर्व अंकुर अवस्थी से मेरे व्दारा
सूर्यदेवनगर स्थित प्लाट क्रं 4-सी का सौदा 48,90,000/- रूपये
मे किया गया था जो दिनांक 01.07.2015 को अंकुर अवस्थी के घर पर आकर स्टाम्प
पर लिखापढी लाकर प्रस्तुत करने पर बयाना पेटे 4,51,000/- रूपये साक्षियो
के समक्ष दिये गये थे,जो बाद मे मालूम पडा कि अंकुर अवस्थी व्दारा
उक्त प्लाट को बंटी डांगी को भी विक्रय किया जाकर विक्रय अनुबंध लेख किया गया है।
इस प्रकार अंकुर अवस्थी व्दारा सूर्यदेवनगर स्थित प्लाट क्रं 4-सी
का विक्रय दो लोगो को किया जाकर अवैध धनलाभ अर्जित किया जाकर हमारे साथ धोखाधडी की
है। मैने अंकुर अवस्थी से कई बार मिलकर
अपने रूपये वापस मांगे परंतु अंकुर अवस्थी व्दारा मेरे रूपये नही लौटाये गये तथा
मेरे रूपयो की अफरा तफरी कर दिया है। मुझे और भी जानकारी मिली है कि इसी प्लाट को
अंकुर अवस्थी व्दारा किसी सतीश भावलकर नामक व्यक्ति तथा कामिनी भावलकर पति हेमन्त
को भी विक्रय किया गया है। फरियादी की रिपोर्ट पर आरोपी अंकुर अवस्थी के विरूद्ध
थाना छत्रीपुरा पर अपराध क्रं 151/2016 धारा 420,406 भादवि का
पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया।
प्रकरण मे अनुसंधान के दौरान पुलिस थाना
छत्रीपुरा व्दारा फरियादी से प्लाट के विक्रय इकरारनामा एवं बंटी डांगी से विक्रय
अनुबंध लेख इकरारनामा जप्त किया जाकर आरोपी अंकुर अवस्थी को गिरफ्तार कर माननीय
न्यायालय के समक्ष पेश कर, न्यायालय के आदेश से जेल दाखिल कराया
गया जो वर्तमान मे जमानत पर है। प्रकरण मे आरोपी के पिता अजय कुमारअवस्थी के
व्दारा अंकुर अवस्थी को षडयंत्रपूर्वक फंसाने का उल्लेख करते हुए वरिष्ठ अधिकारियो
को आवेदन प्रस्तुत किया गया। उक्त प्रकरण में प्लाट के नाम पर धोखाधड़ी करने व
आरोपी को झूठा फंसाने की शिकायत के तथ्यों को गंभीरता से लेत हुए, उप
पुलिस महानिरीक्षक इन्दौर शहर श्री संतोष कुमार सिंह द्वारा प्रकरण में निष्पक्ष
जांच कर, उचित वैधानिक कार्यवाही हेतु प्रकरण की विवेचना थाना प्रभारी जूनी
इन्दौर श्री पवन सिंघल को दी जाकर, आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।
थाना प्रभारी जूनी इन्दौर व उनकी टीम द्वारा
प्रकरण की विवेचना के दौरान फरियादी नितिन गवते एवं साक्षीयों के कथन लिये गये व
उनका सीडीआर व अन्य तकनीकी आधार पर परीक्षण किया गया। नितिन गवते ने अपने कथनो मे
बताया है कि दिनांक 01.07.15 को प्रातः 11.00 बजे से 2.00
बजे तक वह घर मे एमओजी लाईन था एवं इसी दौरान आरोपी अंकुर अवस्थी उससे मिलने उसके
घर आया एवं लिखापढी कराने के उपरांत 1.30 से 2.00 बजे के मध्य
आना बता रहा है। जबकि नितिन गवते के मोबाईल की काल डिटेल का अवलोकन करते दिनांक 01.07.2015 को
नितिन गवते का लोकेशन 10.22 बजे प्रिकांको कालोनी, 11.45 से
12.56 बजेतक बी.के.सिंधी कालोनी एवं 13.14 बजे से 17.00
बजे तक प्रिकांको कालोनी वैशाली नगर मे लोकेशन आ रहा है एवं अंकुर अवस्थी से नितिन
गवते की फोन पर कोई बातचीत नही होना पाया गया। जिससे कथनो एवं नितिन गवते की
मोबाईल कांल डिटेल मे प्राप्त लोकेशन के आधार पर विरोधाभास प्रकट हो रहा है।
दिनांक 1/7/2015 को नितिन गवते एवं अंकुर अवस्थी का 11.00
बजे से 2.00 बजे तक लोकेशन एमओजी लाईन मे नही है। प्रकरण मे इकरारनामा लेख के साक्षी अजय राजानी
के कथनो से उसकी कांलडिटेल का अवलोकन किया गया जिसमे अजय राजानी के व्दारा बताया
कि दिनांक 01.07.15 को 10.30-11.00 बजे दुकान जाने
के लिये निकला जो एम.ओ.जी लाईन पर नितिन गवते से 10-12 नंबर लेने के
कारण उसके घर गया, उस समय नितिन गवते व किशन घर पर ही बैठे हुए थे
उसी समय अंकुर भी एमओजी लाईन मे आया तब नितिन ने मुझे 10-15 मिनट का रूकने
के लिये कहा। उक्त संबंध मे अजय राजानी की मोबाईल कांल डिटेल का अवलोकन करते
दिनांक 01.07.15 को रात्रि 00.04 बजे से दोपहर 12.15
बजे तक वह अपने निवास राजमहल कालोनी मे रहा। जिसका त्रिवेणी कालोनी टावर लोकेशन आ
रहा है तथा 12.23 बजे पलसीकरपर बैक के पास एवं 12.31 से
12.50 बजे तक बोहरा बाजार एवं 13.45 से 15.46
बजे तक बाम्बे रेडियोज नावेल्टी मार्केट जेलरोड इन्दौर पर लोकेशन आ रहा है। अजय
राजानी के मोबाईल पर लगातार कांल इनकमिंग या आउटगोईंग हो रही है जिसमे 11.00
बजे से 2.00 बजे तक एक भी लोकेशन एमओजी लाईन की नही है,
जिससे
यह स्पष्ट है कि अजय राजानी दिनांक 01.07.15 को वहां पर
उपस्थित नही था एवं कथनानुसार 10-15 दिन बाद मे दोस्ती यारी के कारण उसे
गंगवाल बस स्टेण्ड के पास बुलाकर स्टाम्प पर साईन कराई गई। जिससे यह स्पष्टहै कि स्टाम्प पर लिखापढी एमओजी
लाईन मे नही हुई एवं अंकुर अवस्थी के प्लाट का सौदा एवं 4,51,000
रूपये का लेनदेन अजय राजानी के समक्ष नही हुआ। अन्य साक्षी किशन असरानी के कथनो
एवं उसकी सीडीआर का भी अवलोकन किया गया किशन असरानी व्दारा कथनो मे बताया कि
दिनांक 01.07.15 को नितिन गवते के साथ छत्रीबाग मे था एवं उसके
प्लाट के लेनदेन के समय मै उसके साथ 2.00 बजे करीब एमओजी लाईन गया। जहां पर
अंकुर अवस्थी आया तब नितिन ने स्टाम्प पर लिखापढी करने के लिये कहा तब अंकुर
अवस्थी स्टाम्प लेने के लिये गया एवं 10-15 मिनट बाद स्टाम्प लेकरआया तब मेरे
सामने नितिन ने 4,51,000/- रूपये दिये और मैने स्टाम्प पर साईन
किये स्टाम्प पर लिखापढी थी कि नही यह मुझे ध्यान नही है। साक्षी किशन असरानी के
कथनो से उसकी मोबाईल कांल डिटेल का अवलोकन किया गया जिसमे उसका दिनांक 01.07.15 का
लोकेशन 10.29 बजे से 15.34 बजे तक गोल्डन
पैलेस कालोनी मे लोकेशन आ रही है तथा इसके उपरांत 21.27 से 11.25 तक
पुनः गोल्डन पैलेस कालोनी मे लोकेशन है लगातार बातचीत होने बाद भी कोई लोकेशन
एमओजी लाईन या छत्रीबाग की नही आ रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि दिनांक 01.07.15 को
साक्षी की उपस्थिति एमओजी लाईन मे नही थी जिससे उसके समक्ष लिखापढी एवं रूपयो का
लेनदेन भी स्पष्ट नही है। इस प्रकार नितिन गवते एवं साक्षी अजय राजानी, किशन
असरानी तीनो के कथनो एवं तीनो की कांल डिटेल लोकेशन का अवलोकन करते तीनो के कथनो
मे विरोधाभास होकर पूर्व से ही प्लाट की बाउड्रीवाल होने से नितिन गवते एवं अंकुर
अवस्थी के मध्य 4,51,000/- रूपयो के आपसी लेनदेन की पुष्टि एवं
प्लाट का क्रय विक्रय सिद्ध नही होता है तथा स्टाम्प पर समस्त जगह हस्ताक्षर पेज
के कोने पर क्रेता एवं विक्रेता व्दारा किये गये है तथा लेख काफीउपर दर्ज है जिससे
यह स्पष्ट है कि साईन पहले कराये गये है एवं लिखापढी बाद मे नियोजित की गई है।
जिससे फरियादी नितिन गवते के साथ अंकुर अवस्थी व्दारा धोखाधडी प्रकरण के अनुसंधान मे
परिलक्षित नही हो रही है।
पुलिस टीम द्वारा प्रकरण में उक्त प्लाट के एक
और खरीददार फरियादी बंटी डांगी एवं साक्षी के कथनो का तकनीकी आधार पर परीक्षण किया
गया। प्रकरण मे अनुसंधान के दौरान बंटी डांगी एवं संबंधित साक्षियो के कथन लिये
गये जिसने बताया कि अंकुर को नवम्बर 2014 से अप्रैल 2016 तक अलग अलग समय
पर करीबन 17,50,000 रूपये उधार दिये थे जो अंकुर व्दारा 5
लाख रूपये का चेक देने पर चेक बाउंस हो गया था। भुगतान नही होने के कारण मैने
अंकुर से तकादा किया तब उसने मुझसे कहा कि आप मेरा प्लाट ले लो या बिकवा दो तो
मैने अंकुर से प्लाट का सौदा 35 लाख रूपये मे किया। जिसमे दिनांक 08.07.2015 को
उक्त प्लाट का विक्रय अनुबंध लेख हेतु मेरे व्दारा 15 लाख रूपये
अंकुर अवस्थी को दिये गये तथा रजिस्ट्रार कार्यालय मे जाकर उपपंजीयक के समक्ष
विक्रय अनुबंध लेख रजिस्टर्ड किया गया तथा 06 जुलाई 2015 को
ही 100 रूपये के स्टाम्प पर कब्जा पत्र एवं 2,50,000/-रूपये
नगद प्राप्त करने का अनुबंध किया गया जिसमे समस्त राशि नगदी के रूप मे अंकुर
अवस्थी को दी गई, जिसके एवज मे अंकुर व्दारा प्लाट की रजिस्ट्री
की फोटोकांपी दिखाई जाकर एक प्रति दी गई परंतु असल रजिस्ट्री मांगने पर पेपर कही
रखा जाना बताया। जिसके बाद मै उक्त प्लाट पर गया तो वहां पर भावलकर परिवार आ गया
जिन्होने उक्त प्लाट की रजिस्ट्री अंकुर अवस्थी व्दारा स्वयं के पक्ष मे कराया
जाना बताया। प्रकरण के अन्य साक्षी रवि
कुसमाकर के कथन लेख किये जिसने बताया कि दिनांक 08.07.15 को प्रातः 11.00
बजे से शाम 5.00 बजे तक बंटी डांगी के साथ मे था पहले समाजवाद
नगर मे स्थित घर मे बंटी डांगी व्दारा 14-15 लाख रूपये
अंकुर अवस्थी को दिये, उसके बाद हम रजिस्ट्रार कार्यालय मे आये जहां
पर अंकुर और मै स्टाम्प लेने गये तब स्टाम्प की दुकान से 1000
रूपये का एक स्टाम्प और एक 100 रूपये का स्टाम्प लिया जिस हेतु आईडी
की आवश्यकता होने से मेरा वोटर आईडी कार्ड दिया और स्टाम्प पर एवं रजिस्टर पर भी
साईन मैने ही किया था। मैने केवल रजिस्ट्रार आफिस मे साईन किये थे मेरे सामने कोई
अन्य स्टाम्प पर लिखापढी नही हुई ना ही मैने कोई अन्य स्टाम्प पर साईन किया
है।साक्षी धर्मेन्द्र बिलोदिया ने बताया कि दिनांक 08.07.15 को मै, बंटी
डांगी, अंकुर अवस्थी और रवि साथ मे थे जहां पर अंकुर स्टाम्प लेने गया था और
थोडी देर बाद वापस स्टाम्प लेकर आया। स्टाम्प पर लिखापढी की हुई थी जिसमे मैने
गवाह बतौर 2-3 जगह साईन किये थे उसके उपरांत अन्य कोई
लिखापढी मेरे सामने नही हुई।
पुलिस टीम द्वारा प्रकरण के पूर्व प्लाट धारक व
स्वतंत्र साक्षियो के कथनो का परीक्षण
किया गया। प्रकरण मे अनुसंधान करते सूर्यदेवनगर प्लाट क्रं 4-सी
दिनांक 10/04/2014 को सतीश भावलकर एवं कामिनी भावलकर के व्दारा
क्रय किया जाकर उसी समय उसकी बाउड्रीवाल का निर्माण किया जाकर प्लाट पर कब्जा किया
गया था। वर्ष 2015 मे बंटी डांगी व उसके साथी देखने आये थे
बाउड्रीवाल को देखकर पूछने पर उनको बताया था कि उक्त प्लाट हमारे व्दारा खरीदा गया
है एवं माह सितम्बर 2015 मे उसका निर्माण भी शुरू कर दिया। तब भी बंटी
डांगी आकर उक्त प्लाट स्वयं का होना बता रहा था तब हमने उनके कागज मांगे तथा बताया
कि जब हमारे व्दारा प्लाट वर्ष 2014 मे ही खरीद लिया था तो आपने इसकी
लिखापढी क्यो करवाई। उसके बाद अजय अवस्थी से जाकर मिले जिन्होने बताया किबंटी
डांगी व्दारा जबरदस्ती धमकाकर दबाव बनाकर अंकुर अवस्थी से उक्त प्लाट की लिखापढी
की गई है तथा कोई परेशानी नही होने का आश्वासन दिया था। उपरोक्त घटनाक्रम के संबंध मे स्वतंत्र साक्षी
श्रीमती प्रेमलता साहू पति विवेक साहू से चर्चा की गई जिसने बताया कि वह एडवोकेट
है तथा अंकुर अवस्थी दिनांक 08.07.15 को रजिस्ट्रार कार्यालय से पैदल आता
हुआ दिखाई दिया था तब उसने मुझे बताया था कि बंटी डांगी व उसके साथियो ने
डराधमकाकर पूर्व मे बेचे हुए प्लाट की लिखापढी जबर्दस्ती करा ली है, तब
मैने उसको इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियो से करने बाबत बताया था। अन्य साक्षी राम
कुमावत पिता सुखलाल कुमावत व्दारा भी अंकुर अवस्थी को दिनांक 08.07.15 को
अन्नपूर्णा मंदिर के पास अंकुर अवस्थी को मोटर सायकल पर दो व्यक्तियो के व्दारा
जबर्दस्ती ले जाते हुए देखना बताया है।
प्रकरण की सम्पूर्ण विवेचना करते पुलिस टीम
द्वारा जांच के आधार पर पाया कि, दिनांक 10.04.2014 को
सूर्यदेवनगर प्लाट क्रं 4-सी अंकुर अवस्थी व अजय अवस्थी व्दारा सतीश
एवं कामिनी भावलकर को विक्रय कर पंजीयन कराया गया था जिसमे बाउड्रीवाल का निर्माण
क्रेता व्दारा उसी समय किया गया था।बंटी डांगी व्दारा अपने उधार दिये गये रूपयो की
वसूली के लिये अंकुर अवस्थी को घोर उपहति करने के भय मे डालकर बेईमानीपूर्वक धौस
धपट कर दबाव बनाकर दिनांक 08.07.2015 को उक्त प्लाट के औरिजनल दस्तावेजो
एवं रूपयो के लेनदेन के बगैर प्लाट क्रं 4-सी का अनुबंध लेख पंजीयन कराया गया एवं
उसी दिन अपने साथी रवि कुसमाकर के माध्यम से अंकुर अवस्थी के नाम से स्टाम्प क्रय
कर कोरे स्टाम्प पर अंकुर अवस्थी के हस्ताक्षर करवाये गये तथा पूर्व के अन्य
स्टाम्प का उपयोग अपने स्कूल के दोस्त नितिन गवते के साथ षडयंत्र कर एक अन्य
विक्रय लेख तथा कब्जा लेख तैयार करवाया गया जिसका पंजीयन नही है एवं इसी अनुबंध
लेख के आधार पर बंटी डांगी, नितिन गवते व उसके साथियो के व्दारा
षडयंत्र किया जाकर अंकुर अवस्थी के विरूद्ध रिपोर्ट की गई। प्रकरण मे सभी फरियादी एवं साक्षियो के कथनो
एवं कांल डिटेल का अवलोकन करते एवं प्लाट क्रं 4-सी के मालिक के
कथनो एवं स्वतंत्र साक्षियो के कथनो के आधार पर बंटी डांगी व्दारा आरोपी अंकुर
अवस्थी के साथ अपने लेनदेन को पूर्ण करने हेतु उसे घोर उपहति करने के भय मे डालकर
बेईमानीपूर्वक दबाव बनाकर पूर्व मे विक्रय किये गये प्लाट का पुनः विक्रयअनुबंध
लेख तैयार करवाया जाकर तथा स्टाम्पो पर आरोपी के दबावपूर्वक साईन कराकर उससे अन्य
लोगो के साथ षडयंत्र कर अनुबंध लेख तैयार करवाया जाना पाया गया। जिससे प्रकरण मे
फरियादी नितिन गवते एवं बंटी डांगी के विरूद्ध धारा 384,120-बी भादवि का
इजाफा किया गया है। प्रकरण में आज दिनांक 19.10.16 को पुलिस थाना
जूनी इन्दौर द्वारा आरोपी नितिन गवते, बंटी डांगी तथा रवि कुसमाकर को माननीय
न्यायालय भेजा गया है।
उक्त प्रकरण में आरोपियों की धोखाधड़ी का
पर्दाफाश कर, उन्हे पकड़ने में, वरिष्ठ
अधिकारियों के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी जूनी इन्दौर एवं उनकी टीम की
महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय भूमिका रही।
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