Tuesday, May 14, 2013

शातिर जालसाज गिरफ्तार, फर्जी तरीके से बैंको से लिया लोन, फर्जी रजिस्ट्री भी करायी


इन्दौर -दिनांक 14 मई 2013- पुलिस अधीक्षक पश्चिम श्री अनिल सिंह कुशवाह ने बताया कि थाना अन्नपूर्णा इन्दौर पर दिनांक 05.02 .11 को फरियादी नवीन वैद्य  पिता  महेश चन्द्र वैद्य नि. 47 ग्रैटरवैशाली नगर इन्दौर ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके मकान  47 ग्रैटरवैशाली नगर इन्दौर को दिनांक 01.10.05 को 5000रु मासिक किराये पर रन्जीत सिंह सलूजा  पिता इन्दर सिंह सलूजा  नि. 17 लोहामंडी ,देवश्री टॉकीज ,इन्दौर के पास तथा स्थाई नि. मकान नं. 4 कपड़ा गली बेटमा जिला धार (.प्र.) मो.नं. 9329543971 ,9827083240 को साहू प्रापर्टी ब्रोकर के सुनील साहू के माध्यम से किराये पर दिया था जो रंजीत सिहं सलूजा नाम के व्यक्ति द्वारा मकान नंबर 47 ग्रेटर वैशाली नगर इन्दौर की फर्जी रुप से रजिस्ट्री रजिस्ट्रार कार्यालय इन्दौर मे दिनांक 27.03.06 को मकान मालिक मनोरमा वैद्य शास्त्री नवीन वैद्य के फोटो लगाकर रंजीत सिंह सलुजा पिता इन्दर सिंह सलुजा नि. 1412 E सुदामा नगर इन्दौर ने फर्जी रजिस्ट्री  कराई उक्त फर्जी रजिस्ट्री को ICICI  बैंक मे मोडगेज कर 10,25000/- रुपये का लोन ले लिया मकान खाली कर चला गया फरियादी की रिपोर्ट पर थाना अन्नपूर्णा इन्दौर पर अप. क्र 84/11 धारा 419,420,467,468,471,34 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना की गयी विवेचना के दौरान आरोपी द्वारा बैंको में लोन लेते समय प्रस्तुत दस्तावेज पेन कार्ड , बीमा पालिसी , पासपोर्ट , इनकम टेक्स रिटर्न , बच्चो की फीस रसीद आदि को मेन्युपुलेट कर फर्जी रुप से तैयार करना पाया गया फर्जी दस्तावेजों की सघन जांच के बाद पाया गया कि प्रितेश बिंदल पिता रमेशचन्द्र बिंदल नि. 11 J सेक्टर A स्कीम नंबर 71 इन्दौर द्वारा अपनी बीमा भरने वाली रसीद को मेन्युपुलेट कर रंजीत सिंह सलुजा पिता इन्दर सिंह सलुजा नि. 47 ग्रेटर वैशाली नगर इन्दौर के नाम पर बीमा रसीद बनाकर इनकम टेक्स छूट हेतु एवं एड्रेस प्रूफ हेतु प्रस्तुत की गयी है   पासपोर्ट का भी बारीकी से  अध्ययन करते पासपोर्ट नंबर   E1890192 को फोटोकापी कराकर E पर बीच मे दो जगह छेद कर B बनाया जाना प्रतीत हुआ  इस आधार पर संदेह होने पर संदेही  प्रितेश बिंदल पिता रमेशचन्द्र बिंदल नि. 11 J सेक्टर A स्कीम नंबर 71 इन्दौर की तलाश की गयी जिसे आज दिनांक 14.05.13 को श्रीमान पुलिस उप महानिरीक्षक श्री राकेश गुप्ता के निर्देशन में श्रीमान पुलिस अधीक्षक श्री अनिल सिह कुशवाह पश्चिम शहर इन्दौर  एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  श्री विनय प्रकाश पॉल  पश्चिम शहर जोन -2 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री राजेश सिंह मुख्यालय जिला इन्दौर एवं श्रीमान नगर पुलिस अधीक्षक आर एस घुरैया थाना प्रभारी श्री कमलेश शर्मा के मार्गदर्शन मे सउनि बी एस कुशवाह उनि मानसिंह भदौरिया को तलाश हेतु भेजा गया  संदेही को पकडा जाकर पुछताछ करने पर सदर अपराध करना स्वीकार किया आरोपी  प्रितेश बिंदल ने M.Com तक शिक्षा प्राप्त की है D.A.V.V. , गुजराती कालेज से 1997 मे पीजी किया है वर्ष 1999 मे GNT गुरुनानक टिम्बर मार्केट मे चंदेश सप्लायर के नाम से लकडी का बिजनेस चालु किया जंगल से आक्शन की लकडी लेना और चीर कर लोगो को बेचना जो अभी भी काम कर रहा है सबसे पहला लोन इसी फर्म पर 1999 मे HDFC से एक लाख छत्तीस हजार रुपये  का लिया था जो 36 माह की किश्त थी , इसी लोन को तीन लाख रुपये का कर लिया था इसी के साथ ICICI बैंक से एक लाख रुपये  का लोन लिया था इसी प्रकार इसने कई लोन बिजनेस के नाम पर लिये और चुका दिये इस प्रकार इसे यह ज्ञान हो गया कि लोन के लिये क्या क्या डाक्युमेन्ट लगते हैं  
                        वर्ष 2005 तक कई लोन लेकर वापस कर दिये थे लोन लेने के लिये गुमास्ता का लायसेंस , पेन कार्ड , फोटो , एड्रेस प्रूफ , टेलिफोन का बिल , इनकम टेक्स रिटर्न तीन वर्ष का नगर निगम का लायसेंस आदि की आवश्यकता होती है यह इसे जानकारी हो गयी थी  आरोपी के अनुसार टिम्बर मार्केट मे करीब 60% लोग सरदार है तो इसने सोचा अभी तक सब लोन चुकाए हैं क्यों ऐसा लोन लुं जो चुकाना पडे और इसने सरदार बनकर लोन लेने की सोची उस समय पर्सनल लोन बैंक धडल्ले से दे रही थी
                        वर्ष 2006 मे प्रितेश बिंदल साहू प्रापर्टी ब्रोकर के पास गया वहां से प्रापर्टी ब्रोकर ने एक लडके को भेजा जिसके  साथ मकान देखा , 47 ग्रेटर वैशाली नगर गया मकान मालिक बाहर था , तीन दिन बाद नवीन वैद्य से मिला और 4500/- रुपये का प्रति माह के किराये की बात की एवं एग्रिमेन्ट मे उसने अपना नाम रंजीत सिंह सलुजा नि. बेटमा का गलत पता लिखाया था इस किराये के मकान मे वह कभी नही रहा बस ऐसे ही ले कर रखा रहा   उसके बाद रंजीत सिंह सलुजा के नाम से कमलेश पटेल प्रापर्टी ब्रोकर से एक दुकान 17 देवश्री काम्पलेक्स पर लोहा मण्डी मे ली वहां पर  से तेल और खली के बोरे रखकर व्यापार करना बताया वहां पर सरदार बनकर जुडा लगाकर ही जाता था जहां पर इसने एक लडका रखा जो वहां पर केवल बैठा रहता था इसका उद्देश्य था कि अगर कभी बैंक के लोग जानकारी लेने आए तो उन्हे यही पता लगे कि यह दुकान रंजीत सिंह सलुजा की है वैसे लोहामण्डी मे जहां इसकी दुकान थी वहां पर लोगो के गोडाउन ज्यादा हैं तो कोई ज्यादा पुछताछ नही करता था फिर इसी दुकान के नाम पर नगर निगम का लायसेंस (नानक इंटरप्राजेस के नाम से )लिया एवं रंजीत सिंह के नाम से घर और दुकान पर टेलिफोन कनेक्शन ले लिये एक्सिस  बैंक में नानक इंटरप्राजेस फर्म का अकाउंट खोला फिर इस  सब के आधार पर ICICI बैंक से तीन लाख रुपये का  पर्सनल लोन लिया एवं वर्ष 2006 मे HDFC बैंक से नानक इंटरप्राजेस पर चार लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया , वर्ष 2006 मे एक्सिस बैंक से एक लाख छत्तीस हजार रुपये  का जी कन्ट्री वाईड से एक लाख रुपये  का लोन HDFC बैंक की 11 इन्सटालमेंट भरने पर एक लाख पच्चीस हजार रुपये  का टाप अप लोन लिया फिर HDFC बैक से तीन लाख पचास हजार रुपये का लोन सिटी बैंक से लिया एवं एक्सिस बैक  , HDFC बैंक सिटी बैंक के क्रेडिट कार्ड  एक लाख छप्पन हजार रुपये के लिये ये सब लोन वर्ष 2006 तक ले लिये थे
                        उसके बाद वर्ष 2006 के अंत में प्रितेश बिंदल ने पेपर मे जाहिर सूचना पढी की ऐसा मकान खरीद रहा हूं जिसमे मूल दस्तावेज गुम हो गये हैं किसी को आपत्ति तो नही है , इसे मकान की रजिस्ट्री का प्रोसेस मालुम था एक-दो वकीलों से बात भी की तो उन्होने कहा कि मकान के कागजात गुमने की FIR होना चाहिये फिर इसने प्रोजेक्ट के नाम पर  FIR रेल्वे थाने से ले ली और वहीं रखी  FIR पढ भी ली फिर, स्वयं एक फर्जी रजिस्ट्री गुमने की FIR लिखी  , सील खजुरी बाजार से अन्नपूर्णा थाने की बनवाई , फिर एक वकील से बात की जिसने कहा कि मैं रजिस्ट्री करवा दुंगा फिर इस दौरान इसने अपना रंजीत सिंह वाला नंबर ही सब को दिया सब इसे रंजीत सिंह के नाम से ही जानने लगे थे घर पर नार्मल बनकर रहता था एवं 10-15 लोगो का एक सर्कल बन गया था जो इसे रंजीत सिंह के नाम से जानने लगा फिर वकील को फर्जी FIR बता दी वकील को स्टाम्प का लगभग एक लाख रुपये दिया , वकील ने इसे कार्यालय मे बैठाया और दुसरी रजिस्ट्री करवाने चले गये तब इसने टायपिस्ट से बातचीत की और गवाह भी इन्ही के टायपिस्ट के माध्यम से एरेंज करवा दिये थे जायसवाल नाम का लडका था जिसके माध्यम से इसने एक महिला एरेंज कर ली थी जिसने इसकी मदद की इसमे 1-2 दिन लगे इस दौरान इसने रजिस्ट्रार को वाच किया वहां ज्यादा पुछताछ नही होती थी रजिस्ट्री के दौरान नवीन वैद्य नही था इसने कहा कि अभी नवीन वैद्य की मां गई है , नवीन वैद्य रहे हैं  तब सब ने हस्ताक्षर किये इसने महिला ने भी हस्ताक्षर किये तब इसने कहा कि नवीन वैद्य को काम गया है वो  कल जाए तो चल जाएगा तब रजिस्ट्रार ने पुछा की ओरिजनल कागजात कहां है तो वकील ने  FIR बता दी थी जो इसने फर्जी तैयार की थी अगले दिन प्रितेश बिंदल ने वकील को फोन किया और कहा कि नवीन वैद्य रहे हैं मै किसी काम से फस गया हूं आप उनके हस्ताक्षर करवा देना और स्वयं नवीन वैद्य बनकर गया और रजिस्ट्रार आफिस मे नवीन वैद्य के हस्ताक्षर किये कुछ दिन बाद इसे उक्त मकान की रजिस्ट्री मिल गयी  
                                    फिर इसी किराये के मकान पर मोडगेज लोन के लिये  ICICI बैंक से गया जहां उन्होने डाक्युमेन्ट की लिस्ट दी जो FIR की कापी , पुराने दस्तावेज , पेन कार्ड , रजिस्ट्री चाही गयी मकान नगर निगम मे आपके नाम पर ट्रांसफर होना चाहिये फिर इसने नगर निगम से मकान ट्रांसफर कराया और  4000/- रुपये टेक्स के जमा किया पूर्व का बाकी टेक्स भी जमा किया बैंक को सब की फोटोकापी दी , अप्रुवल के लिये 6-7 दिन बाद बारह लाख पचास हजार रुपये स्वीकृत किया मूल दस्तावेज वहां जमा कर दिये इसी दौरान रंजीत सिंह सलुजा का टेक्स भरा इसमे इसने LIC की पालिसी ली और बच्चो की फीस की रसीद लगाई थी पालिसी की किश्त एक बार ही भरी जब तक एड्रेस प्रूफ मे नाम गया बाद मे इसने जब सारे कागज इनकम टेक्स रिटर्न , एड्रेस प्रूफ टेलिफोन बिल देकर रंजित सिंह  का ओरिजनल पेन कार्ड बनवा लिया इसी आधार पर लगभग 25-26 लाख का लोन लिया जिसे बिजनेस मे लगाया जेन एस्टिलो कार ली एक एक्टिवा एक बाईक खरीदी वर्ष 2007 मे मकान खाली करने का फोन पर बताया मकान खाली कर दिया फिर रंजीत सिंह सलुजा बनना बंद कर दिया लगभग 15-16 महीने सरदार बनकर रहा अक्सर हेलमेट पहनता था इस लिये किसी को शंका नही हुई थी
दस्तावेज जो इसने फर्जी बनवाए -
पेन कार्ड को मेन्युपुलेट कर रंजीत सिंह सलुजा के नाम का बनाया
स्वयं की बीमा रसीद भी बना ली
बच्चो की स्कूल की रसीद भी मेन्युपुलेट की
स्वयं का पोसपोर्ट भी मेन्युपुलेट कर रंजीत सिंह सलुजा के नाम का बनाया 


आरोपी प्रतिश बिंदल द्वारा लिये गये लोन की जानकारी -
बैंक का नाम
लोन अमाउंट
जमा किश्त
बकाया
 ICICI बैंक
12,05,000/- रुपये होम लोन
 30,000/-
11,70,000/- 
 ICICI बैंक
2,99,000/- रुपये पर्सनल लोन
84000/-
216000/-
बजाज फायनेंस लिमिटेड
55,000/- रुपये लैपटाप IBM कंपनी का लिया
39000/-
72,000/-
जी मनी फायनेंसियल बैंक
1,00000/- रुपये पर्सनल लोन
 23464/-
76536/-
 HDFC बैंक
5,25,000/- रुपये पर्सनल लोन 
1,44,000/-
3,85,000/-
एक्सिस बैंक
1,36,000/-
43820/-
92180/-
सिटी बैंक
3,22,000/- रुपये पर्सनल लोन
-
3,22,000/-
क्रेडिट कार्डएक्सिस बैंक, सिटी बैंक HDFC बैंक
156000/-
31,000/-
125000/-
HSBC बैंक
350000/-
12087/-
217023/-
TOTAL
31,48,000/- रुपये
4,91,371/-
26,56,629/-

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