Sunday, September 9, 2012

15 लाख की सुपारी देकर व्यापारी को गोली मरवाने वाले मास्टर माइंड का पर्दाफाश, क्राईम ब्रांच ने साथियो सहित किया गिरफतार

इन्दौर -दिनांक 09 सितंबर 2012- अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपराध शाखा श्री मनोज कुमार राय ने बताया कि, दिनांक 28 अगस्त 2012 को सुयश अस्पताल परिसर में व्यापारी धर्मेन्द्र सिंह ठाकुर निवासी रतलाम कोठी इन्दौर को, 15 लाख की सुपारी देकर, गोली मरवाने वाले मास्टर माइंड मनीष जुनेजा निवासी गुलमोहर एक्सटेंशन इन्दौर एवं घटना के षडयंत्र में शामिल अन्य 5 आरोपियों को गिरफतार करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।
        श्री राय ने बताया कि, दिनांक 28 अगस्त 2012 को प्रातः 09.30 बजे के आसपास व्यवसायी धर्मेन्द्र सिंह ठाकुर पिता श्री हुकुम सिंह ठाकुर (43) निवासी 11-सी रतलाम कोठी इन्दौर, अपनी बहु के सुयश अस्पताल में भर्ती होने पर मिलने के लिए, सुयश अस्पताल पहुंचे थे जहां से 10.00 बजे के आसपास अस्पताल से बाहर आते समय, पूर्व से घात लगाकर बैठे दो अज्ञात व्यक्तियो ने उन्हे गोली मार कर हत्या करने का प्रयास किया जाकर, मोटर सायकल से फरार हो गये थे। घटना पर से थाना संयोगितागंज जिला इन्दौर पर अपराध क्र. 1098/12 धारा307 भादवि का प्रकरण पंजीबद्व कर विवेचना में लिया गया था। 
        घटना पर से पुलिस उप महानिरीक्षक शहर इन्दौर श्री ए.साई मनोहर, भापुसे डॉ.आशीष एवं अपराध शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री मनोज कुमार राय, श्री जितेन्द्र सिंह एवं उनकी टीम को प्रकरण के पर्दाफाश हेतु निर्देशित किया गया था। दिन दहाडे सार्वजनिक स्थल पर होने वाली गोलीबारी की घटना से इन्दौर पुलिस को प्रकरण का पर्दाफाश करना एक चुनौती बन गया था। प्रकरण के बाबत सूचना देने के लिए फरियादी द्वारा 51 हजार के ईनाम की घोषणा की जाकर जनसहयोग भी चाहा गया था।
        श्री राय ने बताया कि, उनके अधीनस्थ अपराध शाखा की तकनीकी टीम को एवं उसके साथ-साथ निरीक्षक जयंत सिंह राठौर की टीम को प्रकरण के बाबत निर्देशित किया गया था। प्रकरण में तकनीकी विश्लेषण से मनीष जुनेजा पिता देशबन्धु जुनेजा निवासी गुलमोहर एक्सटेंशन एवं विक्की उर्फ विक्रम मालवीय की भूमिका संदिग्ध पाई गई।  प्रकरण के बाबत जांच करने पर ज्ञात हुआ कि, मनीष उर्फ मन्नु जुनेजा घायल धर्मेन्द्रसिंह का दोस्त है जो अक्सर उसके साथ ही रहा करता था। धर्मेन्द्र सिंह एवं मन्नु उर्फ मनीष के बीच 50 लाख रूपयोंका लेनदेन था जिसकी वापसी के लिए धर्मेन्द्र सिंह द्वारा 1 सितम्बर 2012 की समय सीमा नियत की गई थी। रूपयो की वापसी तय समय सीमा में न होने एवं धर्मेन्द्र द्वारा अपशब्द कहे जाने के डर से, मन्नु उर्फ मनीष जुनेजा निवासी गुहमोहर कालोनी इन्दौर द्वारा 15 लाख की सुपारी देकर उसे रास्ते से हटाने का षडयंत्र तैयार किया।
         मन्नु एक व्यापारी होकर मौज मस्ती का शौकीन था और जिमनेशियम में जाता था। जहां उसका सम्पर्क जिम में काम करने वाले राहिल पिता चिमनलाल गोडा निवासी 16 रवि नगर से हुआ जिससे इस घटना को अंजाम देने का जिक्र किया। राहिल ने अपने दोस्त पंकज शर्मा पिता रघुवीर शर्मा निवासी योजना क्रंमाक 74 एवं शबीर उर्फ मोहम्मद शाहबाद पिता मोहम्मद निजाम निवासी नया बसेरा से इस बाबत कोई शूटर उपलब्ध कराने के लिए कहा गया। 15 लाख की बडी रकम में साझेदारी करने के लिए इन दोनो द्वारा छोटी खजरानी में कबाडे का काम करने वाले विक्की उर्फ विक्रम पिता भागीरथ मालवीय एवं मनीष पिता बाबूलाल अमोर निवासी नया बसेरा को तैयार किया गया और मन्नु उर्फ मनीष जुनेजा से मिलाने के लिए ट्रांसपोर्ट नगर लेकर गया और धर्मेन्द्र सिंह को दिखाया। धर्मेन्द्र सेदोस्ती होने एवं उसके साथ रहने से मन्नु उर्फ मनीष जुनेजा को यह जानकारी थी कि वह सुबह घर से निकल कर सबसे पहले सुयश अस्पताल जायेगा। मन्नु उर्फ मनीष द्वारा घटना के एक दिन पूर्व दोनो आरोपियों के साथ घटना को अंजाम देने के लिए रैकी की गई। घटना दिनांक 28-8-2012 को आरोपी विक्की उर्फ विक्रम पिता भागीरथ मालवीय एवं मनीष पिता बाबूलाल अमोरे मोटर सायकल से सुबह 09.15 बजे ही सुयश हॉस्पिटल पहुच गये जहां पार्किग में गाडी खडी कर धर्मेन्द्र सिंह के आने का इन्तजार करने लगे। सुबह 10.00 बजे धर्मेन्द्र सिंह के अस्पताल में पहुचते ही, मनीष पहले से गाडी स्टार्ट कर सुयश अस्पताल के गेट पर विक्की का इन्तजार करने लगा। धर्मेन्द्र सिंह को अस्पताल से बाहर आता देख विक्की उर्फ विक्रम मालवीय उसकी गाडी के पास खडा हो गया और उसके गाडी के पास पहुंचते ही उसके सिर में गोली मारकर, पहले से गाडी स्टार्ट कर खडे मनीष के साथ बैठकर फरार हो गया था। मन्नू उर्फ मनीष जुनेजा निवासी गुलमोहर एक्सटेंशन द्वारा 15 लाख की सुपारी बाबत चेक भी दिये गये थे।
        इस प्रकार क्राईम ब्रांच ने 15 लाख की सुपारी देकर कराये गये गोलीकॉड का पर्दाफाश करने में महत्वपूर्णसफलता प्राप्त की है। इस महत्वपूर्ण एवं अंधे प्रकरण का पर्दाफाश करने में निरीक्षक जयंत सिंह राठौर, उप निरीक्षक महेन्द्र सिंह परमार, सउनि (अ) अमित दीक्षित, सउनि बिजेन्द्र जाट, सउनि नाथूराम दुबे, अपराध शाखा के प्र.आर. अवधेश अवस्थी, आर. जितेन्द्र सिंह परमार, आर. संतोष सेंगर, प्र.आर. नरेन्द्र सिंह गौर, प्रआर. रामअवतार दीक्षीत, आर. जितेन्द्र सेन, एवं संयोगितागंज थाने के उपनिरीक्षक एम.के. मिश्रा की उल्लेखनीय भूमिका रही है। पुलिस उप महानिरीक्षक शहर इन्दौर द्वारा टीम को पुरूस्कृत किये जाने की घोषणा की गई है।

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