इंदौर दिनांक ६-जून २०१०- पुलिस अधीक्षक श्री मकरंद देउस्कर के निर्देशन में अति. पुलिस अधीक्षक अपराध शाखा श्री अरविन्द तिवारी के मार्गदर्शन में अपराध शाखा की टीम को वाहन चोरो का गिरोह पकड़ने में सफलता प्राप्त हुई । घटना के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री अरविन्द तिवारी व्दारा बताया कि इंदौर शहर में वाहन चोरी की बारदात पर नियन्त्रण हेतु अपराध शाखा के उपनिरीक्षक अनिलसिंह चौहान तथा उनकी टीम को निर्देशित किया था, वाहन चोरों पर लगातार निगाह रखने क दौरान आर. बशीर खान व राजभान को सूचना मिली कि थाना चंदन नगर क्षेत्र के नन्दननगर कॉलोनी के संदेही १-शेख आमीन पिता शेख मुबारिक उम्रे २१वर्ष, २-शहजाद पिता गुल्लू शेख उम्र २३ साल निवासी नन्दननगर द्वारा बदल-बलल कर मोटर सायकल चलाते हुऐ देखा गया है । सूचना पर आर. राजकुमार भदौरिया ,सुरेश भदकारे को संदिग्धों के घर के आसपास खुपिया तौर पर तैनात किया गया जैसे ही दोनों बदमाश मोटर सायकल से आते दिखे तभी टीम के सभी सदस्यों ने घेराबंदी की तो संदिग्ध बेटमा रोड़ की तरफ भागे इस पर चंदन नगर के आर. आरिफ खान के सहयोग से घेराबंदी कर बदमाशों को पकड़ा व इनसे लाल रंग की स्टार सिटी मोटर सायकल पकड़ी गई । चंदन नगर थाने पर टी.आई. अजय कैथवास के साथ क्राईम ब्रांच की टीम ने मिलकर पूछताछ की तब इनके व्दारा वाहन चोरी की कई वारदात करना कबूल किया, इनकी निशादेही पर थाना जूनीइंदौर के अपराध क्रमांक ९२/१० में एक मोटर सायकल , संयोगितागंज के अपराध क्रमांक २१३/१० में एक मोटर सायकल ,भॅवरकुॅआ के अपराध क्रमांक ०४/१० में एक मोटर सायकल ,तुकोगंज के अपराध क्रमांक ९२१/०६ में एक मोटर सायकल ,लसूड़िया के अपराध क्रमांक ४१०/०८ में एक मोटर सायकल शामिल है जिन्हें संबधित थाना क्षैत्रों में स्थित पार्किग स्थलों एवं रहवासी क्षेत्र से ७ दुपहिया वाहन अब तक बरामद करने में सफलता प्राप्त की है, इसके अतिरिक्त इन आरोपियों से गहन पूछताछ पर इनके व्दारा बताया कि इनके गिरोह में शामिल अन्य दो साथी कालू तथा वसीम जो शातिर वाहन चोर है उनके मिलने पर कई दो पहिया वाहन मिलने की संभावना है, उक्त दोनों बदमाशों की तलाश जारी है। इस गिरोह का अपराध करने का तरीका इस प्रकार है कि आरोपीगण अपने साथ एक मास्टर चाबी रखते है भीड़-भाड़ वाले या कालोनियों की एकांत गलियों में खड़ी मोटर सायकल पर निगाह रखते है ,दो साथी आने-जाने वालों को देखते रहते है कि कभी वाहन मालिक आता दिखाई दे तो एक दूसरे को ईशारा करके भाग सके और यदि वाहन मालिक नहीं आता है तो यह गिरोह वाहन चुराकर भाग जाते थे और चुराये गये वाहनों को शहर के सायकल स्टेंड पर रखकर चले जाते थे और बाद में सौदा कर वाहन बेच देते थे ।
No comments:
Post a Comment