पुलिस को पिछले काफी समय से न्यायालय में फर्जी जमानत देने वालों की जानकारी मिल रही थी, जिसके संबंध में पुलिस अधीक्षक पूर्व श्री मकरंद देउस्कर को निर्देशन मे क्राईम ब्रांच के अति० पुलिस अधीक्षक अरविन्द तिवारी एवं उप पुलिस अधीक्षक जितेन्द्रसिंह को फर्जी जमानतदारों के गिरोह को पकड़ने के लिये क्राईम ब्रांच की टीम लगाने के लिये निर्देषित किया। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देषानुसार क्राईम ब्रांच के उप निरीक्षक अनिलसिंह चौहान के नेतृत्व में आरक्षक बलराम तोमर, राजभान, गणेष पाटिल, राजकुमार भदौरिया, विष्वास पाण्डे को योजनाबद्ध तरीके स फर्जी जमानतदार गिरोह का पर्दाफाष करने हेतु लगाया गया। आर० गणेष पाटिल व बलराम तोमर को न्यायालय भेजकर गोपनीय तौर से फर्जी जमानतदार की जानकारी प्राप्त कराई गयी तो ज्ञात हुआ कि कुछ वकील फर्जी पावती तैयार कर तहसीलदार की फर्जी सील लगाकर न्यायालय में जमानतें कराते हैं, जिसमें मुख्य रूप से राजेन्द्र कुमार वर्मा का नाम सामने आया। आरक्षक राजभान तथा विष्वास पाण्डे को राजेन्द्र वर्मा वकील पर निगाह रखने हेतु भेजा गया। इस टीम ने बताया कि वर्मा जी अपने सूटकेस में फर्जी ऋण पुस्तिकाएं एवं शासकीय सीलें रखते हैं। सूचना की तस्दीक सही होने पर थाना प्रभारी एम०जी० रोड श्री यू०पी०एस० चौहान, सउनि रत्नेष त्रिपाठी, सउनि आर०के० बोरासी एवं क्राईम ब्रांच की संयुक्त टीम तैयार कर श्री राजेन्द्र वर्मा वकील का कोर्ट से निकलने का इंतजार करने लगे। शाम करीब ५ बजे वर्मा जी अपनी मो०सा० से सूटकेस लेकर निकले उनका पीछा कर पत्थर गोदाम रोड पर घेराबंदी कर पकड़ा गया उनका सूटकेष चैक करने पर उसमें कई फर्जी ऋण पुस्तिकाएं एवं तहसीलदार इन्दौर, तहसीलदार देपालपुर व अन्य शासकीय सीलें भी मिली, जिस पर से थाना एमजी रोड पहुंचकर धारा ४२०, ४६७, ४७१,४६८ भादवि के अंतर्गत प्रथम दृष्टया कार्यवाही प्रारंभ की गयी। धर्मेन्द्र पिता लक्ष्मीनारायण द्यषर्मा निवासी ११/११ परदेषीपुरा इन्दौर , भागचन्द्र पिता छोटेलाल निवासी पाटनीपुरा इन्दौर तथा हरिओम पिता नन्दूलाल चन्द्रवंषी निवासी बोलाय कला षाजापुर का रहने वाला है । तीनों व्यक्ति कई बार न्यायालय में फर्जी जमानत दे चुके है । इनके पास १०-१० लडकों की टीम है जो नाम बदलकर अलग-अलग न्यायालय में जमानत देने हेतु प्रस्तुत होते है । पूछताछ पर बताया कि प्रतिदिन ३० से ४० जमानतें फर्जी होती है । पूछताछ पर श्री वर्मा ने बताया कि वे फर्जी जमानत का कार्य कई वर्षो से कर रहे हैं। उनके साथ कई एजेन्ट जुड़े हुए हैं, जिन्हें न्यायालय में अलग अलग नामों से प्रस्तुत कर फर्जी जमानते करायी गयी। पूछताछ जारी हैं।
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