इन्दौर-दिनांक 26 जुलाई 2021-बाल अपराध निवारण, उनकी सुरक्षा व देखभाल तथा उनके बेहतर संरक्षण के उद्देश्य से शासन द्वारा विभिन्न कानूनी प्रावधान एवं योजनाएं संचालित की जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार, पुलिस उप महानिरीक्षक शहर इंदौर श्री मनीष कपूरिया एवं पुलिस अधीक्षक मुख्यालय इन्दौर श्री अरविंद तिवारी मे मार्गदर्शन में इन्दौर पुलिस द्वारा बाल अपराधों की रोकथाम व संरक्षण तथा इससे संबंधित जागरूकता लाने हेतु समय-समय पर कार्यशाला आदि का आयोजन किया जा रहा है। इसी अनुक्रम में आज दिनांक 26.07.21 को जिले के विशेष पुलिस किशोर ईकाई, बाल कल्याण अधिकारीगण, महिला बाल विकास विभाग के पदाधिकारीगण के लिये एक कार्यशाला का आयोजन पुलिस कंट्रोल रूम में किया गया।
उक्त कार्यशाला मे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, एडीजे श्री मनीष श्रीवास्तव के मुख्य आतिथ्य में, जिला विधिक अधिकारी श्री दिग्विजय सिंह, किशोर न्याय बोर्ड की श्रीमती नेहा बंसल, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सुश्री पल्लवी पोरवाल, अति. पुलिस अधीक्षक मुख्यालय श्रीमती मनीषा पाठक सोनी, श्री रामनिवास बुधौलिया, असि.डायरेक्टर, आईसीपीएस महिला बाल विकास विभाग, सुश्री शर्बरी उबाले, संस्था ममता, उप पुलिस अधीक्षक महिला अपराध श्रीमती नंदिनी शर्मा सहित महिला बाल विकास विभाग के पदाधिकारीगण, सामाजिक संस्था आस के सदस्यगण, जिला इन्दौर के विशेष किशोर पुलिस इकाई, बाल कल्याण पुलिस अधिकारी तथा अन्य पुलिस के प्रशिक्षणार्थी अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहें।
कार्यशाला की शुरूआत करते हुए अति.पुलिस अधीक्षक मुख्यालय द्वारा कार्यशाला के विषय व रूपरेखा के बारें में विस्तृत रूप से बताते हुए, बच्चों के हितो के लिये कार्यरत् संस्थाओं व विभिन्न कानूनी प्रावधानों के बारें में परिचयात्मक जानकारी दी गयी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री मनीष श्रीवास्तव जी द्वारा कहा कि किसी भी देश व समाज का भविष्य ये बच्चे ही है। वर्तमान परिदृश्य में समाज में जो भी विकृतियां आ रही है उनसे इन बच्चों को बचाते हुए, इनके हितों की रक्षा एवं इनका संरक्षण हम सभी का सर्वप्रथम नैतिक कर्तव्य हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गो के साथ पुलिस/प्रशास व न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी को पीड़ित बालक/बालिकाओं के लिये विधिक प्राधिकरण द्वारा क्या-क्या विधिक सहायता एवं राहत उपलब्ध करवायी जाती है, इस संबंध में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी।
श्रीमती नेहा बंसल ने कहा कि, जो बच्चें किसी भी प्रकार के अपराध की दुनिया में अग्रसर हो जाते है, उनको वापस से समाज की मुख्य धारा में लाने के लिये विशेष रखरखाव व देखरेख की जरूरत होती है, इन्हीं बातों को बताते हुए उन्होनें जे.जे. एक्ट के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। वहीं सुश्री पल्लवी पोरवाल द्वारा बच्चों के संरक्षण हेतु शासन की विभिन्न योजनाओं आदि की जानकारी देते हुए, कहा कि हम सभी बेहतर आपसी समन्वय स्थापित कर, इन अपराधों की रोकथाम एंव बच्चों के संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते है।
इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों द्वारा सभी को बाल अपराध की रोकथाम एवं उनके निवारण हेतु कानूनी प्रावधान जे.जे. एक्ट, पोक्सो एक्ट आदि के बारें में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए कहा कि, बच्चें अपराधिक जगत में प्रवेश न करे व उनके साथ कोई अपराध हो तो हम क्या करें व क्या नहीं, ये ही हमें इन बच्चों के लिये बनाये गये नये कानून सिखाते है। अतः हमें सर्वप्रथम बच्चों के संरक्षण के लिये, उनको पारिवारिक माहौल प्रदान कर, उनकी समस्याओं को सुनना व समझना है। साथ ही बाल अपराध को रोकने एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के पुनर्वास आदि के लिये किये जाने वाले प्रयासों, बाल भिक्षावृत्ति एवं बाल श्रम के साथ ही बाल विवाह की रोकथाम हेतु उठाये जाने वाले आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की गयी।
इस दौरान जिलें में कार्यरत् बाल कल्याण अधिकारियों द्वारा उपस्थित अतिथियों से दैनिक कार्य में आने वाली विधिक परेशानियों के समाधान के संबंध में भी चर्चा कर अपनी जिज्ञासाओं का शमन किया।
कार्यशाला के सफल आयोजन के सूत्रधार की
भूमिका सुश्री शर्बरी उबाले द्वारा निभाई गयी वहीं संचालन श्रीमती मनीषा पाठक सोनी
द्वारा किया गया तथा उक्त सफल आयोजन के लिये उन्होंनें सभी का आभार भी व्यक्त किया
गया।
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