विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला में उपरोक्त विषय पर बनाई, एक पुस्तक का भी किया गया विमोचन
इन्दौर
- दिनांक 09 मार्च 2021- महिला अपराधों में त्वरित कार्यवाही व
इन प्रकरणों में वैज्ञानिक साक्ष्यों का उपयोग कर, विवेचना को और बेहतर व गुणात्मक तरीके के कर, अपराधियों के विरूद्ध प्रभावी
कार्यवाही करने के उद्देश्य से पुलिस उप महानिरीक्षक शहर इन्दौर श्री मनीष कपूरिया
के मार्गदर्शन में आज दिनांक 09.03.21 को पुलिस कंट्रोल रूम पलासिया में क्षेत्रीय
न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला इन्दौर के सहयोग से इन्दौर पुलिस द्वारा महिलाओं के
विरूद्ध लैंगिक अपराध में फोरेंसिक साक्ष्यों का महत्व विषय पर एक प्रशिक्षण
कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उक्त प्रशिक्षण कार्यशाला में पुलिस
अधीक्षक मुख्यालय इंदौर श्री अरविंद तिवारी एवं अति. पुलिस अधीक्षक मुख्यालय
श्रीमती मनीषा पाठक सोनी की विशेष उपस्थिति में क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान
प्रयोगशाला इन्दौर के प्रभारी श्री विनोद लोकरे, वैज्ञानिक अधिकारी श्री इन्द्रपाल सिंह ठाकुर, वैज्ञानिक अधिकारी श्री अविनाश पुरी, वैज्ञानिक अधिकारी सुश्री अनुभा गंग, वैज्ञानिक अधिकारी श्री विवेक, श्री पवन द्वारा जिला पुलिस बल के
सहायक उप निरीक्षक से निरीक्षक स्तर के विवेचना अधिकारियों को महिला अपराधों में
फोरेंसिक साक्ष्यों के महत्व के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया।
उक्त सेमिनार में वरिष्ठ पुलिस
अधिकारियो एवं क्षेत्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक अधिकारियों
द्वारा उपस्थित सभी विवेचना अधिकारियों को बताया कि, महिला अपराधों को गंभीरता अत्यंत गंभीरता से
लिया जाना चाहिए। हर स्तर पर बारीकी से जांच होनी चाहिए, इसमें थोड़ी सी चूक भी अपराधी के बचाव
में सहायक हो सकती है। सभी प्रकार के अपराधों एवं महिला अपराधों में फोरेंसिक
साक्ष्य अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है अतः इन्हें सहेजने व अपराधों की
विवेचना में इनका प्रयोग करने में पूर्ण सावधानी बरतनी चाहिए तथा जांच के दौरान
सभी वैज्ञानिक पहलुओं का विशेष ध्यान रखना चाहिये। महिलाओं/बालिकाओं से हुए यौन अपराधों की जांच
में लोगों के कथन,
नक्शा
मौका, जब्ती पंचनामा, पीड़ित महिला के कपड़े, रक्त व उससे संबंधित अन्य सामान, संदेही/आरोपी के कपड़े, रक्त, बाल व अन्य सामान आदि साक्ष्यों का संकलन, घटना स्थल के निरीक्षण के समय की
बारीकियों के बारे में बताया। साथ ही इन प्रकरणों में डीएनए परीक्षण किस प्रकार
सहायक हो सकता है,
आदि
के संबंध में भी विस्तृत रूप से समझाया गया।
अधिकारियों ने सभी विवेचना अधिकारियों
से कहा कि, वे जांच करते समय
पीड़ित महिला से व्यवहार व मौका पंचनामा बनाने में सावधानी बरतें। पीड़िता से पूछताछ
करते समय मानवीय पहलुओं का भी ध्यान में रखें।
इस अवसर पर महिलाओं के विरूद्ध लैंगिक
अपराध में फोरेंसिक साक्ष्यों का महत्व, विषय पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालती, विशेषज्ञों द्वारा बनाई गयी एक पुस्तक
का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का संचालन सउनि (एम) श्री हरेन्द्र साटम द्वारा
किया गया तथा सउनि (एम) श्री महेंद्र बैंडवल का भी विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम के
अंत में सभी का आभार वैज्ञानिक अधिकारी श्री अविनाश पुरी द्वारा व्यक्त किया गया।
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