इन्दौर
04 जुलाई 2017-फोन काल एवं एस.एम.एस. के द्वारा देश
भर के लोगों के साथ ठगी के करने वाले गिरोह को पकडने के लिए उप पुलिस महानिरीक्षक
हरिनारायणचारी मिश्र द्वारा पुलिस अधीक्षक (मुखयालय) मो. यूसुफ कुरैशी एवं
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक क्राईम इंदौर अमरेंन्द्र सिंह को निर्देशित किया गया था।
उक्त प्रकार के सायबर अपराधों पर रोकथाम हेतु उप पुलिस महानिरीक्षक के निर्देशन में
ही इंदौर पुलिस द्वारा एक अनूठी पहल करते हुए, सायबर हेल्पलाईन
का प्रारंभ इंदौर में किया गया था। जिसमें बैंक या अन्य ऑनलाईन ठगी करने वाले
अपराधियों की जानकारी देने के लिये, इन्दौर पुलिस 24 घंटे कार्य
करती है। सायबर हेल्पलाईन में विभिन्न आवेदकों के द्वारा कॉल के माध्यम से होने
वाली ठगी का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि, करीब 5
माह के अंदर लगभग 700 व्यक्तियों ने सायबर हेल्पलाईन में अपनी
शिकायतें दर्ज करायी जिसमें कई आवेदकों की तत्काल सहायता करते हुयेउनका पैसा वापस
कराया गया तथा कई आवेदकों को आवश्यक सूचनायें, जानकारी व सुझाव
भी दिये गये ताकि सायबर अपराधों से बचा जा सके। उक्त सायबर अपराधों के कॉलो के
विश्लेषण के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में कार्यवाही करते हुए,
थाना
क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा टीकमगढ जिले से, लोगों के साथ
ठगी करने वाले आरोपी हुकुमसिह पिता मुलायमसिह यादव उम्र लगभग 19
वर्ष निवासी ग्रांम अस्तारी तहसील निमाडी थाना टेहरका जिला टीकमगंढ को पकड़ने में
महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।
विभिन्न मोबाईल कम्पनी के कर्मचारी/अधिकारी
बनकर आम लोगों को एसएमएस कर तथा फोन काल के जरिये लुभावने आफर देकर पैसे अपने
अकाउंट में डलवाने वालों की शिकायते पिछले काफी समय से प्राप्त हो रही थी। क्राईम
ब्रांच की टीम को इस तरह की शिकायतों में उपयोग होने वालें मोबाईल नंबरों का
विश्लेषण कर फर्जी काल करने वाले अपराधियों की पहचान की गई तो, टीकमगढ
जिले के कुछ व्यक्तियों की पहचान हुई जो इस प्रकार से अपराध करते है। जिसके आधार
पर कार्यवाही की गई।
पूछताछ पर पकडे गये आरोपी हुकुम सिंह ने बताया
कि अस्तारी गांव से आसपास दूसरे गांव केलोग भी इस तरह की गतिविधियों मे लिप्त है।
इसी गाँव का रहने वाला शैलेन्द्र यादव पिता संतोष यादव दिल्ली में रहकर इस प्रकार
की ठगी करना सीख कर आया और फिर उसने गांव के और लोगों को भी मोबाईल से ठगी करना
सिखाया। आरोपी से पूछताछ में पता चला कि टीकमढ के अस्तारी गांव के अलावा, उसके
आस पास के अन्य गांव थोना, नौरा, महेवा, गोबा,
चौमोखस,
चरीकला,
करीखास
के लोग भी यही ठगी का काम करते है। यहा की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि जहा आसानी से
पुलिस की पहुंच नही है। ये सभी गांव इसी वजह से आपराधिक रुप से विकसित हो रहै है।
गांव में लगभग नई उम्र के लडके इसी प्रकार
के आपराधिक गतिविधयों में लिप्त हो रहै है
तथा देश के कई राज्यों की पुलिस यहा इस प्रकार ठगी करने वालों की तलाश में
आती है किन्तु इन गांवों की भौगोलिक स्थिति की वजह से इन अपराधियों तक नही पहूच
पाती है।
पूछताछ मे इस गिरोह में सम्मिलित कुछ और
लोगों के नाम सामने आये है, जिनकी जांच कर सत्यापन उपरान्त
कार्यवाही की जावेगी ये नाम इस प्रकार है --
1. भरतसिह पिता
लालाराम 2. नरेन्द्र पिता भवानी दास 3. रिजेन्द्र
पिता शीतलप्रसाद 4. अरविन्दपिता रघुनाख प्रसाद 5. रविनद्र
पिता रमेश 6. राहुल पिता मुन्नालाल 7. यशपाल पिता
कल्लु 8. जितेन्द्र 9.
रोहित
पिता धीरेन्द्र सिह 10. शैलेन्द्र 11. सौलब 12.
प्रदीप
13. रोहित मुन्नालाल 14. पुष्पेन्द्र पिता हरनारायण। अस्तारी
गाँव मे रहने वाले ये लोग करीब 02 साल से इस प्रकार का काम कर रहे हैं।
इन लोगो को काम करना शैलेन्द्र् ने सिखाया हैं। ये सभी लोग अभी भी यह ठगी का
कार्य कर रहे हैं। कॉलर के संबध में जानकारी शैलेन्द्र इस ग्रुप को प्रदाय करता है
जो दिल्ली से विभिन्न मोबाईल नंबर लाता है तथा कॉल किस प्रकार से करना है व क्या
जानकारी प्राप्त करनी है इसकी जानकारी गैंग के सदस्यों को देता है।
इस गिरोह में बैंक खाते कियोस्क के माध्यम से
फर्जी दस्तावेज के आधार पर खोले जाते है तथा उनका संचालन इलेक्ट्रोनिक संसाधनों के
माध्यम जैसे इलैक्ट्रानिक वॉलेट आदि से संचालित होते है। फर्जी दस्तावेजों के
माध्यम से खोले गये इन खाता धारक की पहचान करने में कठिनाई होती है क्योंकि खाता
धाकर कोई और व संचालक कोई और होता है। मोबाईल कंपनियों में भी इस गिरोह के सदस्य
अपने सम्पर्क सूत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते है तथा जिन मोबाईल
नम्बरोंके आधार पर ही उन्है फोन लगाया जाता है इसलिये सिम उपयोगकर्ता विश्वास में
आ जाता है और उनसे बैकों की जानकारी भी प्राप्त कर लेते है। बैंक खाता में भी जो
फोन नम्बर होते हे, उन्हैं फोन लगाकर बातों में उलझाकर विश्वास में
ले लिया जाता है।
संभंवतः मोबाईल कंपनी तथा बैंकों के कर्माचारी
भी इन आपराधियों की मदद में लगे हो सकते है उनकी भूमिका की भी जांच की जावेगी।
सायबर हेल्पलाईन के कॉल का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि इंदौर में ठगी करने
वाले गु्रप का संबध मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ के अतिरिक्त झारखण्ड, बिहार,
छत्तीसगढ़,
दिल्ली
तथा पश्चिम बंगाल से भी है। शहर वासियों से ठगी करने के लिये कॉल इन जगहो से आते
है, जिसके आधार पर भी क्राईम ब्रांच द्वारा विस्तार से जांच कर कार्यवाही
की जा रही है।
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