Friday, December 4, 2015

कार्तिक हत्याकांड का पर्दाफाश, तीन आरोपी गिरफ्तार




इन्दौर-दिनांक 04 दिसम्बर 2015- पुलिस थाना विजय नगर पर दिनांक 01.12.2015 को फरियादी अशोक मिश्रा पिता भेरूलाल मिश्रा उम्र 40 वर्ष नि. ग्राम डकाच्या थाना क्षिप्रा मूल निवासी नरयावली सागर ने बताया कि उसका लडका इंदौर में सत्यसाई के पास स्थित केटेलाईजर कोंचिग में पढने के लिये शाम साढे चार  बजे आया था। कोचिंग समाप्ति होने पर फरियाद का पुत्र कार्तिक मिश्रा ने करीब 8 बजे फोन लगाकर आने की बात कही थी तथा फरियादी ने उसे बता दिया था कि कैसे आना है जब पुत्र नही पहुंचा तो फरियादी तलाश हेतु इंदौर आया और थाने सूचना देने जा रहा था कि करीबन साढे नौ दस बजे के मध्य एक माध्यम से संदेश  मिला जिसमें एक व्यक्ति ने लडके को अपने पास होना तथा उसके बदले में पॉच लाख रू. की मांग की गई। इसके तत्काल बाद थाने पहुंचा और थाने पर सूचना दी। 
सूचना के उपरांत पुलिस तत्काल सक्रिय हुई तथा तत्काल पुलिस उप महानिरीक्षक शहर श्री संतोष कुमार सिहं ने उक्त घटना को गंभीरता से लेते हुये आरोपियों की धरपकड  हेतु निर्देशित किया गया। निर्देश के तारतम्य में अधिकारीगण थाना विजय नगर पहुंचे और कार्यवाही की कमान संभाली। फरियादी से बातचीत करते हुये अगली सूचना आने पर लडके से भी बात कराने की बात कही गई । लगभग रात्रि साढे दस, ग्यारह बजे के आसपास फरियादी को पुनः संदेंद्गा आया । तब फरियादी ने पैसा देने और लडके से बात कराने की बात कही और अपहरणकर्ताओं ने बात कराने से मना करते हुये कहा गया कि पैसे दे दो लडका सुबह तुम्हारे घर पहुंच जायेगा । पुलिस द्वारा लगातार टीम बनाकर कार्यवाही प्रारंभ की गई । फरियादी की सूचनाओं के आधार पर अलग-अलग बिंदुओं पर कार्यवाही शुरू की गई । फरियादी का एक मेडिकल स्टोर्स ग्राम डकाच्या में है उक्त मेडिकल स्टोर्स के आस-पास अन्य व्यवसायियो के बारे में जानकारी प्राप्त की गई और लगातार सक्रिय होकर जगह-जगह से सूचनायें प्राप्त की गई । सीमावर्ती जिलों विद्गोषकर देवास एवं खरगोन जिले की पुलिस से संपर्क करते हुये पुलिस पार्टिया भेजी गई । 
पुलिस ने प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कल दो संदेहियों को साक्ष्यों के आधार पर हिरासत में ले कर पूछताछ की गई तो उनके द्वारा घटना घटित करना स्वीकार किया गया। आरोपीगण १. कन्हैयालाल जाट पिता ब्रदीलाल जाट उम्र 22 वर्ष नि. ग्रामडकाच्या, मूल निवासी भीलवाडा राजस्थान और २. नानूराम चौधरी पिता आनंदीलाल चौधरी उम्र 25 वर्ष नि. ग्राम डकाच्या ने अपहृत बालक का ग्राम डकाच्या से कोंचिग छोडने आते समय से ही पीछा करना शुरू किया और कोंचिग के आस-पास ही कार्तिक की क्लाश समाप्त होने तक आस-पास धुमते रहे जैसे ही कार्तिक कोचिंग से बाहर निकला उसे ग्राम डकाच्या ले जाने के बहाने से बिठा लिया। आरोपीगण मृतक के पिता के मेडिकल स्टोर्स के पास ही ठेले लगाकर अपना बिजनेस करते है जिसके कारण कार्तिक आरोपीगण को वह पहचानता था । कुछ समय बाद आरोपीगणों ने कार्तिक से उसके पिता को फोन लगवाकर कोचिंग से रवाना होने की बात करवाई थी ।  लडके ने फोन पर आरोपीगण के साथ होने की बात छिपा ली थी जो उसके लिये जानलेवा साबित हुआ। उल्लेखनीय यह है कि इंदौर में बात कराने के बाद ही कन्हैया ने कार्तिक का मोबाईल अपने कब्जे में ले लिया था । कार्तिक बार-बार घर जाने के लिये कहने लगा । आरोपीगणों ने बताया कि धामनोद से बाहर निकलते ही सडक से नीचे उतरकर सुनसान जगह ले जाकर कार्तिक की गला दबाकर हत्या कर दी और फिर उसे लेकर महेशवर, मंडलेशवर होते हुये कसरावद मार्ग पर नर्मदा नदी पर बने पुल से नदी में फेंक दिया था । चूंकि पास ही डेम होने से पानी का प्रवाह तेज था और कार्तिक का शव दिनांक 03.12.15 को महेशवर के पास मिला । 
घटना जिस प्रकार से घटित की गई उसमें आरोपीगणों से पुनः गंभीरता से पूछताछ की गई तो यह स्पष्ट हुआ कि आरोपी कन्हैया जाट से उसी गॉंव में मेडिकल का व्यवसाय करने वाले सुभाष पाटीदार ने अशोक मिश्रा से पुरानी रंजिश एवं व्यवसाय प्रतिद्वतंता के चलते हुये 2 लाख रू. के एवज में कार्तिक की हत्या करने के लिये उसे तैयार किया था तथा उसे पॉंच हजार रू. एडवांस और पुलिस की हर कार्यवाही से बचाने का भरोसा दिया था ।  उक्त पैसे से कन्हैया ने अपनी दुकान का सामान क्रय किया था जिसकी जॉंच जारी है । कन्हैया ने पास में ही इलेक्ट्रीक का कार्य करने वाले नानूराम को एक रात में एक लाख रू. कमाने का लालच देकर तैयार किया था। पुरे घटनाक्रम में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिस शीघ्रता के साथ पैसे की मांग करते हुये अपहृत बालक कार्तिक की हत्या की गई थी उससे स्पष्ट था कि अपहरण के अतिरिक्त साजिश का पक्ष भी घटना में है। आरोपी सिभाष पाटीदार को भी गिरफ्तार कर लिया गया है  जिससे भी पूछताछ की जा रही है 
         सुभाष पाटीदार द्वारा आरोपी कन्हैया जाट से पैसे की मांग करना और घटना को अपहरण के साथ हत्या का रूप देना है। जिसका  खुलाशा  करने में इंदौर पुलिस ने  सफलता प्राप्त की।

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