Monday, December 29, 2014

पुलिस ने ली स्कूल के चालक/परिचालकों एवं प्रबंधको की क्लास

इन्दौर-दिनांक 29 दिसम्बर 2014-विगत कुछ समय से महिलाओं एवं विशेषकर विद्यालयों/अन्य शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत कम उम्र की बेंटियों, किशोरियों एवं व्यस्क बालिकाओं स्कूली बस चालकों एवं परिचालको के बच्चों के प्रति हो रहे अपराधो को दृष्टिगत रखते हुये यातायात पुलिस जिला इन्दौर द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो के पालन में शहर के प्रमुख 9 स्कूलो के लगभग 400 चालक/परिचालकों हेतु केस्ट्रॉल कंपनी के सहयोग से क्वीन्स कॉलेज में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
          कार्यक्रम में मुखय रूप से सुश्री अंजना तिवारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यातायात एवं श्री विक्रम सिंह रघुवंशी उप पुलिस अधीक्षक, यातायात इन्दौर, क्वीन्स कॉलेज के प्राचार्य  श्री श्याम अग्रवाल एवं उप प्राचार्य  श्री अनुराग तथा केस्ट्रॉल इंडिया से श्री अभिताभ सिंघल ने फिल्म के माध्यम से सुरक्षित वाहन चालन पर अपने व्याखयान एवं उदाहरणों के माध्यम से इन्दौर शहर के प्रतिष्ठित 9 स्कूलों के चालकों/परिचालकों को स्कूल बसों को कैसे सुरक्षित चलाये इस संबंध में बताया। उन्होने बताया कि दुर्घटनाओं में आईसबर्गका सिद्धांत काम करता है। दुर्घटना के बाद जो चीज सामने दिखती है, उसके अलावा भी कई छुपे कारण भी होते है, जैसे पानी पर तैरता बर्फ का बहुत छोटा भाग सतह पर दिखता है, किन्तु उससे कई गुना अधिक पानी में होता है, ठीक उसी प्रकार दुर्घटना में कई तत्कालीन कारण सामने आते है वो एक छोटी सी वजह होती है, लेकिन जब हम वास्तिविकता में जाये तो वाहन चालकों द्वारा कई दिनों की गई यातायात नियमों की अवहेलना व गलतियों का परिणाम दुर्घटना होती है ।  वर्तमान का युग मीडिया का युग है। आजकल हर दुर्घटना की जानकारी एवं कारण समाचारों में प्रमुखता से दिखाई जाती है। अच्छे चालक को सड़क पर हर दुर्घटना के कारणों का आत्म मंथन करना चाहियें, जिससे की हम सीख ले सके क्योंकि हर दुर्घटना के कारण अलग होते है। वर्तमान में सड़के अच्छी हो रही है। गाडियों के इंजनों की क्षमता भी बढ गई है  । इस कारण से सड़कों पर रफ्‌तार भी बढ गई है। अतः हमें रफ्‌तार को नियंत्रित करना होगा ताकि हम दुर्घटनाओं से बच सके। सुश्री अंजना तिवारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इन्दौर ने बताया कि स्कूल बसों के चालक/परिचालकों का व्यवहार बच्चों के साथ सदैवसौहार्दपूर्ण  होना चाहिये ।  स्कूली प्रबंधन को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।  बसों/वाहनों में निर्धारित क्षमता अनुरूप ही बच्चे बैठाये। वाहनों में प्रेद्गार हार्न का उपयोग न करें। स्कूल प्रबंधन वाहन चालक एवं परिचालकों के व्यवहार के लिये आकस्मिक रूप से चेक करें। वाहन चलाते समय म्यूजिक सिस्टम का उपयोग नही करना चाहियें इससे वाहन चालक का भी ध्यान भंग होता है और दुर्घटना की स्थिति निर्मित होती है। परिचालक कभी भी बच्चों को गोद में नही बैठाये। लोभ लालच देकर बच्चों को खाने की वस्तुएं न दें। वाहन चालक वाहन चालन करते समय मोबाईल का उपयोग न करें। स्कूल प्रबंधन वाहन चालक/परिचालक के बारें में सम्पूर्ण जानकारी रखे। सुरक्षा के लिये बच्चों को लाते एवं ले जाते समय बस में एक व्यक्ति यथा संभव एक स्कूल शिक्षक की व्यवस्था की जायें। अतः स्कूली चालक/परिचालक ऐसा न करें एवं कानूनी प्रावधानों से भी अवगत कराते हुये सभी को समझाईश दी गई। वाहन चालको से अनुरोध किया कि अपने व्यवहार पर नियंत्रण रखे ।   आपकी एक छोटी सी गलती से पूरी संस्था बदनाम हो सकती है। कार्यक्रम के अंत में श्री विक्रम सिंह रघुवंशी द्वारा आभार व्यक्त किया गया ।

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