इन्दौर -दिनांक 30 जून 2014 - जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री बी.जी.शर्मा ने बताया कि श्रीमती सविता सिंह सा. माननीय सत्रहवें अपर सत्र न्यायाधीश महोदय इंदौर द्वारा थाना एरोड्रम इंदौर के सत्र प्रकरण क्रं 113/2013 के बलात्कार के प्रकरण में निर्णय पारित करते हुये प्रकरण के आरोपी सुनिल करोसिया पिता हरिसिंह (48) निवासी-392 कालानी नगर को धारा 370(1)(6) सहपठित 370(3) भादवि में 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 3000 रूपयें के अर्थदण्ड से, धारा 370(ए)(1) भादवि में 06 वर्ष के सश्रम कारावास व 2000 रूपयें अर्थदण्ड से, धारा 370(2)(आई)(के)(एन) में आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल के लिये) व 5000 रूपयें अर्थदण्ड से एवं धारा 324 भादवि में 01 वर्ष के सश्रम कारावास व 2000 के अर्थदण्ड से तथा धारा 23 किशोर न्याय में 06 माह के सश्रम कारावास व 1000 रूपयें के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है।
इसी प्रकार प्रकरण की दूसरी आरोपी पिकीं उर्फ सरिता पिता हरदयालसिंह को धारा 370(1)(6) सहपठित 370(3) भादवि में 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 3000रूपयें के अर्थदण्ड से, धारा 370(ए)(1) भादवि में 06 वर्ष के सश्रम कारावास व 2000 रूपयें अर्थदण्ड से, धारा 370(2)(आई)(के)(एन) में आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल के लिये) व 5000 रूपयें अर्थदण्ड से तथा धारा 23 किशोर न्याय में 06 माह के सश्रम कारावास व 1000 रूपयें के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है
संक्षिप्त में घटना इस प्रकार है फरियादी लक्ष्मीबाई अपने पति कमल के साथ आरोपी सुनिल करोसिया के यशवंत सागर के पास स्थित फार्म हाउस पर मजदूरी करती थी, तो एक दिन सुनिल करोसिया ने फरियादिया से कहा कि तुम्हारी लड़की को मेरे घर का काम करने के लिये मेरे साथ भेज दो मैं 500 रूपयें दूंगा, तो लक्ष्मीबाई ने अपनी 10 वर्ष की लड़की को सुनिल के साथ भेज दिया। सुनिल ने उस लड़की को अपने साथ फ्लेट में रखकर उसके साथ जबरजस्ती घृणित कार्य किया गया। लड़की ने जब यह बात अपनी मां लक्ष्मीबाई को बताई तो उसने थाने में रिपोर्ट की, जिस पर से आरोपी सुनिल के विरूद्व थाना एरोड्रम पर अपराध कं-497/13 अपराध पंजीबद्व किया गया था एवं विवेचना उपरांत चालान माननीय में न्यायालय पेश किया गया।
प्रकरण बहुचर्चित होकर आरोपीगणों द्वारा 10 वर्ष कीमासूम बालिका के साथ उक्त घृणित घटना कारित की गयी थी। पुलिस एरोड्रम द्वारा तत्परता से प्रकरण में विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
माननीय न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में दर्शाया गया है कि अभियोक्त्री अवयस्क होकर मासूम बालिका है, जिसके साथ आरोपीगणों द्वारा घरेलू काम के नाम पर लाकर, उसके साथ घृणित कृत्य किया गया, जिससे समाज में विपरित प्रभाव पड़ता है। आरोपीगणों द्वारा सोच-समझकर योजनाबद्ध तरीके स उक्त गंभीर अपराध किया जाना प्रकट होता है, कंठोर दण्ड से अन्य अपराधी सबक लेकर इस प्रकार के अपराध करने से बचेगें। वर्तमान में महिलाओं एवं बच्चो के प्रति जिस प्रकार दिन-प्रतिदिन इस प्रकार के अपराध बढ़ते जा रहे है, जिसे देखते हुए न्यायालय का रूख लचीला नहीं होना चाहिये। अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए आरोपीगणों को उपरोक्त गंभीर सजा से दण्डित किया गया है।
प्रकरण में शासन प़क्ष की ओर से पैरवी अति. लोक अभियोजक इन्दौर श्री रविन्द्र देसाई द्वारा की गई।
No comments:
Post a Comment