Wednesday, February 5, 2014

अंधेकत्ल का बाणगंगा पुलिस द्वारा खुलासा

इन्दौर -दिनांक 05 फरवरी 2014- पुलिस अधीक्षक पूर्वी क्षैत्र इंदौर श्री ओ.पी. त्रिपाठी ने बताया कि बाणगंगा पुलिस द्वारा एक महत्वपूर्ण अंधेकत्ल का राज खोलने में सफलता प्राप्त की गयी है। दिनांक 16/12/13 की सुबह 08.00 बजे थाना बाणगंगा पर बाबू पिता महेश पाल निवासी मुखर्जी नगर बाणगंगा इंदौर द्वारा थाने पर आकर बताया गया कि पंचमोरी पुलिया के पास उसके खेत में एक 55 साल के आदमी की लाश पड़ी हुयी है। इस आधार पर बाणगंगा पुलिस ने जांच उनि मोहम्मद अली के नामांकित कर घटना स्थल पर रवाना किया गया। घटना स्थल का परिदृश्य कुछ अलग कहानी दर्शा रहा था और पुलिस के सामने कई प्रश्न खड़े कर रहा था वहां देखा गया घटना स्थल के पास एक झोपड़ी बनी हुई है पास में एक गंदा नाला बह रहा है आसपास कोई रिहायसी मकान नही है और अज्ञात मृतक के पास उसके गले से टूटी हुई माला के कुछ मोती उसकी गर्दन के नीचे पड़े है तथा पास में बनी हुई झोपड़ी मे कुछ संघर्ष के सबूत दिखाई पड़ रहे है जो बीती रात बनाये गये खाने और मृतक के साथ हुए संभावित विवाद की अनदेखी कहानी कह रहे है। जब इस तथ्य को पुलिसअधीक्षक श्री ओ.पी. त्रिपाठी को बताया गया तो उन्होने कर्मचारियों की टीम तैयार कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री आबिद खान के नेतृत्व में इस प्रकरण की विवेचना करने के निर्देश दिये।
नगर पुलिस अधीक्षक परदेशीपुरा श्री अजय जैन के निर्देशन में थाना प्रभारी बाणगंगा योगेशसिंह तोमर और उनकी टीम ने संपूर्ण परिदृश्य को कैमरे में कैद किया, सबूतों को इकट्‌ठा किया। आसपास के लोगो से चर्चा करना चाही तो मृतक के पंचनामें के लिये कुछ लोग उपस्थित हुये किन्तु घटना के बारे में किसी भी प्रकार की कोई जानकारी सामने नही आई और न ही किसी व्यक्ति ने मृतक को पहिचाना। इस कारण पुलिस के पास सर्वप्रथम यह जिम्मेदारी थी कि अज्ञात मृतक की पहिचान की जावे तत्पश्चात्‌ संभावित आरोपी की पतारसी की जावे। इसी दौरान दिनांक 06/01/14 को मृतक का भतीजा पंकज मिश्रा विवेचना के दौरान पुलिस के संपर्क में आया और इसने मृतक की अपने चाचा नरेन्द्र मिश्रा के रूप में पहिचान की नरेन्द्र मिश्रा के बारे में जब थाने पर रिकार्ड को खंगाला गया तो ज्ञात हुआ कि मृतक अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था, इसके विरूद्व थाना तुकोगंज, एमआईजी व एरोड्रम रोड़ में करीब दो दर्जन सेअधिक अपराध पंजीबद्व है, जिसमें हत्या तथा लूट जैसे जघन्य अपराध भी शामिल है। इसी दौरान मृतक की पीएम रिपोर्ट प्राप्त हुई जिसमें डॉक्टर द्वारा मृतक की मृत्यु को होमोसायडल प्रकृति का होना लेख किया जो यह दर्शाता है कि मृतक की मृत्यु हत्या की परिधी मे है। इस क्रम में थाना बाणगंगा पर हत्या का अपराध पंजीबद्व किया गया और विवेचना थाना प्रभारी द्वारा प्रारंभ की गयी।
इस अपराध में अज्ञात मृतक अपराधिक प्रवृत्ति का होने से यह हत्या तमाम आशंकाओं को जन्म दे रही थी इसीलिये थाना प्रभारी बाणगंगा योगेश सिंह तोमर के नेतृत्व में विवेचक दल ने इसकी खोज इसके जीवन वृतांत से प्रारंभ की और प्रारंभ की और सर्वप्रथम घटना स्थल की पुनः संरचना की गई तो सर्वप्रथम इस तथ्य की तलाश की गयी कि पतीली में क्या बना था, पतीली के साथ दो ग्लास तथा एक चम्मच भी थी जिस खेत में झोपड़ी बनी थी उस झोपड़ी के बारे में पता किया तो ज्ञात हुआ कि यह झोपड़ी पिछले लम्बे समय से बनी हुई है, इस रेल्वे की जमीन को भरत पाल नाम का व्यक्ति जोतता है। इस जानकारी के आधार पर जब भरत पाल के परिवार से चर्चा की गयी तो ज्ञात हुआ कि इस झोपड़ी का उपयोगखेत के जानवर आदि भगाने के लिये रहने रूकने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है और जब भरत पाल के परिवार को झोपड़ी के बर्तन दिखाये गये तो उस पतीली की पहिचान मनिया उर्फ मनोज पाल के घर के बर्तन के रूप में हुयी। मनिया उर्फ मनोज की जब तलाश की गयी तो वह आसानी से घर पर उपलब्ध हुआ और उसने मृतक के बारे में बताया कि नरेन्द्र मिश्रा मेरा दोस्त था हम लोग सेन्ट्रल जेल इंदौर में एक ही बैरक में साथ में रहे थे। दो दिन पहले ओकारेश्वर से मेरे पास मिलने आया था, मैने इसे झोपड़ी में रूकने के लिये स्थान बताया था किन्तु घटना दिन के बारे में मौन रहा। मनिया पाल भी थाने का हिस्ट्रीशीटर बदमाश है, उसका घटना के दिन से अभी तक चुप रहना पहचान के लिये पुलिस के सामने न आना आदि प्रश्नों के उत्तर यह कुछ भी देता रहा। बहुत से लोगों से बातचीत करते झोपड़ी के पास से गुजर रहे एक पांच साल के बच्चे को अचानक थाना प्रभारी ने रोककर बातचीत प्रारंभ की तो उस बालक ने उम्मीद से परे घटना की कहानी थाना प्रभारी को सुना दी, उसने बताया कि घटना रात्री के समय वह भी मनिया के साथ खाना खाने झोपड़ी पर आ गया था जिसको कि यह जेल वाला दादाबोलता है। इस बालक की उम्र करीब 05 वर्ष है जो कि मनिया के भाई रामचंद्र का पोता है। मनिया अधिकांश जेल में रहा इसलिये बालक उसे जेल वाला दादा बोलता था, उसने बताया कि टापरी वाले ने मटन बनाया था हम खाना खाने जेल वाले दादा के साथ आये थे और जेल वाले दादा ने पहले चिलम पी फिर शराब पी और मटन खराब बना था तो जेल वाले दादा और पप्पू ने टापरी वाले को डंडे से पीटा। मै घर की तरफ जाने लगा रास्ते मे दादी मिली तो फिर उसके साथ होकर घर चला गया। इस घटनाक्रम को सुनते ही थाना प्रभारी ने बालक को इसके संरक्षक दादा रामचंद्र को बुलाया और समझाईश देकर उसके जिम्मे किया।
घटनाक्रम का लगभग दृश्य पुलिस के समक्ष आ चुका था और इस संपूर्ण घटनाक्रम को साक्ष्य की दृष्टि से संकलित करना था इसे किया गया और संदेही मनोज उर्फ मनिया तथा रामेश्वर को पुलिस अभिरक्षा में लेकर गहनता से पूछताछ की गई तो उन्होने बालक द्वारा बताये गये घटनाक्रम के आसपास ही अपनी कहानी बतायी और बाणगंगा पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को पुलिस अधीक्षक श्री ओ.पी. त्रिपाठी द्वारा पुरूस्कृत करने कीघोषणा की गयी है। पुलिस टीम में सउनि के.के. मिश्रा, राजकुमार सिंह, आरक्षक जितेन्द्र सिंह, घनश्याम सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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