इन्दौर दिनांक 12 नवम्बर 2012 - पुलिस अधीक्षक इंदौर डॉ. आशीष ने बताया कि हमारे समाज में ऐसी कई परम्पराऍ विद्यमान हैं जो वर्तमान परिवेश में अपने स्वरूप को परिवर्तित कर ही स्वीकार्य हो सकती हैं। जिन आयोजनों का मौखिक स्वरूप सामाजिक सौहार्द एवं सामूहिक आनंद का था, वे अब आधुनिक युग में नए और घातक रूप ले रहे हैं। रूढ़ीवादी परम्पराओं में आज नये प्रहारक एवं विस्फोटक साधनों से समाज को घातक परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे घातक आधुनिकीकरण का शिकार गौतमपुरा क्षैत्र में दीपावली के अवसर पर खेला जाने वाला हिंगोट युद्व हो गया है। कभी सामान्य पत्थरों के साथ शुरू हुआ यह सांकेतिक युद्व तत्कालीन कम आबादी वाले क्षैत्र में उत्साहपूर्वक मनाया जाता था।
विगत दशकों में ये हिगोंट विस्फोटक पटाखों में बदल चुके हैं जिनकी वर्ष दर वर्ष शक्ति बढ़ती जा रही ह। दो समूहों में बंटकर हिंगोट (विस्फोटक पटाखे) से खेले जाने वाला यह खेल अब इतना घातक हो चुका है कि विगत पॉच वर्षो में लगभग डेढ़ सौ लोगों का अंग भंग हो चुका है और न जाने कितने घायल हो चुके हैं। जिन लोगों ने अपनी ऑखे, अपने हाथ, पैर गवां दिये, आजीवन अपंग हो गये, उनका अब कौन सा उत्सव मनेगा।
हमारा यह अनुरोध है कि परंपरा के नाम पर हिंगोट का हिंसक खेल खेलते हुये अपने भविष्य को दॉव पर न लगायें। ऐसे खतरनाक आयोजनों से दूर रहें तथा ऐसी घातक परम्पराओं का स्वरूप बदला जा कर बुराई से समय रहते मुक्ति पा लेना ही उचित होगा।
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