इन्दौर -दिनांक २४ सितम्बर २०११- पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, नई दिल्ली के द्वारा अवगत किया गया था कि उप निरीक्षक एम.एस.सिसोदिया के केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो में कार्य किये जाने के दौरान अमित तिवारी की षिकायत पर प्रथम सूचना पत्र क्रमांक- आरसी नंबर ०२ (ए) २००४ पुलिस थाना : सीबीआई, एसीयू .टप्प्प्ए नई दिल्ली में पंजीबध्द किया गया था। जबकि अपचारी महेंद्रसिंह सिसोदिया, भ्रष्टाचार निरोधक इकाई जबलपुर में विवेचना अधिकारी होकर अमित तिवारी अन्य के विरूध्द पंजीबध्द प्रकरण क्र आरसी/८ (ए) /२००२ /सीबीआई/एसीबी/जबलपुर की विवेचना कर रहे थे। इस दौरान सीबीआई से दल के अधिकारियों के द्वारा २५०००/- रूपये की रिष्वत लिये जाने के लिये अपचारी महेंद्रसिंह सिसोदिया पकड़ा गया था। इस प्रकरण में प्रथम सूचना पत्र क्रमांक- आरसी नंबर/०२/(ए) २००४ -एसीयू.टप्प्प् धारा ७ एवं १३ (२) तध्ू १३;१द्ध;कद्ध च्ण्ब्ण् ।बजए १९८८ए पुलिस थाना : सीबीआय, एसीयू .टप्प्प्ए नई दिल्ली केस आयडी नंबर - ०२४०४ आर ६२८४९०२००४ में पारित निर्णय में उप निरीक्षक महेन्द्रसिंह सिसोदिया को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ की धारा ७ के अंतर्गत दोषी पाया जाकर ४ वर्ष के सश्रम कारावास एवं २५०००/- अर्थदण्ड की सजा तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ की धारा १३ (२) के अंतर्गत दोषी पाया जाकर ६ वर्ष के सश्रम कारावास एवं २५०००/- रूपये अर्थदण्ड किया गया था।
मध्य प्रदेष षासन, सामान्य प्रषासन विभाग, ज्ञापन एफ क्रमांक ६-२/८०/३ भोपाल दिनांक ६ अक्टूबर १९८०, आपराधिक मामलों में दोष सिद्ध पाये जाने पर षासकीय सेवकों के विरूद्ध कार्यवाही करने के संबंध में है। जिसके अनुसार शासकीय सेवक को उसे अधिरोपित की जाने वाली शास्ति की सूचना दी जाकर उस पर उत्तर देने के लिये अवसर दिया जाकर शास्ति अधिरोपित की गयी।
. इस प्रकार उक्त सम्पूर्ण प्रकरण का सम्यक् विचारोपरान्त उप निरीक्षक महेन्द्रसिंह सिसोदिया के द्वारा किये गये आचरण पर विषेष न्यायालय द्वारा दोषसिद्धी की गंभीरता के मद्देनजर सेवा से पदच्युत ;क्पेउपेंस तिवउ ेमतअपबमद्ध किये जाने का दण्ड दिया गया।
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