इन्दौर-दिनांक 16 जून 2015-उप पुलिस महानिरीक्षक इंदौर शहर श्री संतोष सिंह ने पुलिस अधीक्षक पश्चिम श्री कल्याण चक्रवर्ती को दि. 11.06.15 को फौजा की संदिग्ध गिरफ्तारी की जांॅच हेतु निर्देद्गिात किया। पूरे मामले का घटनाक्रम कुछ इस तरह था कि दिनांक 20 मई की रात में सरफराज उर्फ फौजा व उसके साथियों ने अपने दुश्मन जुबेर खान को जान से मारने के लिए उस पर गोली चलाई जिस पर थाना रावजी बाजार में अपराध क्र्र. 186/15 धारा 307,34 भादवि. का पंजीबद्व कर विवेचना में लिया गया। घटना के बाद से ही सारे आरोपी फरार थे। इस अपराध की विवेचना में दि. 11.06.15 को फौजा जी.आर.पी. पुलिस इंदौर द्वारा ट्रेन में विवाद करते हुए नाटकीय ढंग से पकडा गया। थाना रावजी बाजार के अपराध की विवेचना में अपराधी को संरक्षण देने वाले इरफान पठान को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर उसने बताया कि मैंने, फौजा, उसकी बहन शबीना उर्फ शमीना, जी.आर.पी. आरक्षक राजकुमार कैथवास व कैमरामैन सन्नी ने मिलकर फौजा को पकडवाने का नाटक रचा था। इरफान ने बताया कि दि.10.06.15 को फौजा की बहन शमीना ने उससे सम्पर्क किया और फौजा को सुरक्षित पेश कराने की बात कही। इरफान पठान रेल्वे के माल गोदाम में काम करता है। इसलिए वह जी.आर.पी. के आरक्षक राजकुमार कैथवास को जानता था। इरफान ने आरक्षक राजकुमार से बातचीत की और उसे पूरी बात बताई। आरक्षक राजकुमार ने इस बात की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारीयों को न देते हुए दि. 11.06.15 को इरफान से बातचीत कर फौजा से मुलाकात कर फौजा की गिरफ्तारी की नाटकीय कहानी तैयार की उसी दिन फौजा के एक साथी द्वारा कैमरामैन सन्नी जो कि इरफान को पहले से जानता था उसे फोन कर प्लेटफार्म पर बुलाया जाता है और उसे नाटकीय कहानी में शामिल किया जाता है। कैमरामैन सन्नी निर्धारित समय के पहले ही प्लेटफार्म पर पहुंचता है उसके बाद जैसे ही प्लेटफार्म पर ट्रेन रूकती है तो जी.आर.पी. आरक्षक राजकुमार कैथवास अपने साथी आरक्षक के साथ फौजा को ट्रेन के डिब्बे से पकडकर लेकर आता है। इस पूरे घटनाक्रम की वीडियोंग्राफी कैमरामेन सन्नी द्वारा की जाती है व वीडियों को वाट्सअप पर मीडिया ग्रुप में डालकर वायरल कर दिया जाता है। यह पूरा नाटक फौजा को सुरक्षित पेश करने के लिए रचा गया।विवेचना में पता चला की शमीना ने इस काम के लिए इरफान को 15 हजार रू. दिए थे। इरफान ने बताया कि 5 हजार रू. कैमरामेन को देना और शेष राशि राजकुमार कैथवास को देनी थी जो कि पुलिस द्वारा शमीना द्वारा दिए गए रूपए इरफान से जप्त कर लिए गए। विवेचना में सामने आया कि दि. 18 मई को रात्री करीब 10:30 बजे मालगोदाम पर इरफान के साथ फौजा व उसके साथियों ने योजना बनाई थी कि फौजा थाना रावजी बाजार के अपराध को घटित करेगा तथा जी.आर.पी. पुलिस की मदद से समर्पण करेगा। 22 मई को जब फौजा को यह पता चला कि जुबेर मरा नहीं है इसलिए फौजा ने समर्पण नहीं किया क्योंकि वह उस पर दोबारा हमला करना चाहता था लेकिन पुलिस के दबाव के कारण फौजा इधर-उधर भागता रहा और उस पर ईनाम भी घोषित कर दिया गया। इसलिए दि. 11.06.15 को फौजा अपने साथियों व जी.आर.पी. पुलिस के आरक्षक की मदद से षडयंत्रपूर्वक नाटकीय ढंग से पकडा गया।
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